केरल की राजनीतिक पार्टी ट्वेंटी 20 ने एक वार्ड सदस्य के साथ केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका में किझाक्कम्बलम पंचायत निकाय के उस प्रस्ताव को चुनौती दी गई है जिसमें आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए कुम्मानोडु वार्ड का मतदान केंद्र (पोलिंग बूथ) मद्रासतुल इस्लामिया की मस्जिद में बनाने का प्रस्ताव रखा गया है.
इस मामले की सुनवाई जस्टिस सी.एस. डायस कर रहे हैं. जस्टिस ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते समय राज्य चुनाव आयोग से इस मामले में जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी.
धार्मिक स्थलों को मतदान केंद्र बनाना धारा 9 का उल्लंघनकेरल हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य चुनाव आयोग द्वारा धार्मिक स्थलों के अंदर मतदान केंद्र बनाना धारा 9 का उल्लंघन है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस धारा का उद्देश्य इस तरह की सोच और धारणा से बचना था, जिससे ऐसा न लगे कि चुनाव प्रक्रिया किसी धर्म से प्रभावित हो रही है. याचिका में यह भी कहा गया है कि धार्मिक स्थलों पर मतदान केंद्र बनाने से मतदाताओं पर उस धर्म से जुड़े उम्मीदवार या राजनीतिक दल का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है.
याचिका में कहा गया कि इसके अलावा, जैसे कि हम सबको पता है कि चुनाव एक संवेदनशील मुद्दा है और चुनाव के समय में सांप्रदायिक हिंसा होने की संभावना भी अधिक रहती है, इसलिए इसके लिए स्कूल या सरकारी इमारतों जैसी जगहों पर मतदान केंद्र बनाना बेहतर रहेगा.
याचिकाकर्ताओं ने किझाक्कम्बलम पंचायत के सचिव द्वारा बुलाई गई बैठक के फैसले की एक कॉपी अदालत में प्रस्तुत की और आरोप लगाया कि मस्जिद को मतदान केंद्र बनाने के फैसले पर उनकी द्वारा कि गई आपत्तियों पर ध्यान ही नहीं दिया गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि एक महीने बाद हुई दूसरी बैठक में कई राजनीतिक पार्टी के नेताओं ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि बैठक के दौरान की गई सभी सिफारिशों और चर्चाओं को कार्यवृत्त (minutes of meeting) में ठीक से दर्ज नहीं किया गया था.
2020 के चुनाव में हो चुकी है हिंसायाचिकाकर्ताओं ने कहा कि 2020 के चुनावों के दौरान हिंसा हुई थी और मदरसतुल इस्लामिया मतदान केंद्र पर उनके सदस्यों पर बेरहमी से हमला किया गया था. उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत चुनाव के उप-कलेक्टर के सामने दर्ज की गई थी, लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट से अपील कर हस्तक्षेप करने की मांग की, जिससे चुनाव प्रक्रिया को तटस्थता, धर्मनिरपेक्षता और शांतिपूर्ण ढंग से निपटाया जा सके. साथ ही यह तय किया जा सके कि कोई भी नागरिक धार्मिक दबाव के बिना अपना वोट डाल सके. फिलहाल कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से जवाब मांगा है.