जब भी हम किसी गाड़ी बाइक, स्कूटर या कार की बात करते हैं, तो सबसे पहले इंजन की क्षमता यानी सीसी (CC) का जिक्र आता है. विज्ञापन से लेकर शोरूम तक हर जगह आपको 100cc, 350cc या 2000cc जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं. सवाल उठता है कि आखिर इंजन की क्षमता सीसी में ही क्यों मापी जाती है. इसका मतलब क्या होता है और इसका असर टैक्स यानी GST रेट पर भी क्यों पड़ता है?
सीसी का मतलब क्या होता है?‘CC’ का पूरा नाम है क्यूबिक सेंटीमीटर (Cubic Centimeter) है. यह इंजन के सिलेंडर के भीतर मौजूद जगह का माप है, जहां ईंधन और हवा का मिश्रण जलकर ऊर्जा पैदा करता है. सरल भाषा में समझें तो जितना ज्यादा सीसी होगा, उतना ज्यादा ईंधन और हवा इंजन में समा पाएंगे और उतनी ज्यादा ताकत यानी पावर इंजन दे सकेगा. 100cc का स्कूटर रोजमर्रा के छोटे सफर के लिए होता है, इसमें माइलेज ज्यादा मिलता है. 350cc की बाइक ताकतवर होती है, लंबे सफर और हाईवे पर बेहतर प्रदर्शन करती है. कारों में 1000cc, 1500cc या 2000cc तक के इंजन आमतौर पर देखे जाते हैं.
CC और लीटर का रिश्ताअगर किसी कार का इंजन 1000 सीसी होता है तो इसे 1 लीटर लिखा जाता है. CC और लीटर दोनों ही वॉल्यूम मापने की इकाइयां हैं.
1 लीटर में 1000 क्यूबिक सेंटीमीटर यानी 1000cc होता है. यानी 1000cc का मतलब 1 लीटर हुआ. इंजन का आकार दरअसल उस जगह का आयतन है, जहां ईंधन और हवा का मिश्रण जलकर पावर बनाता है. अगर इंजन की क्षमता 1197cc है, तो इसे आसान बनाने के लिए ऑटोमोबाइल कंपनियां और ग्राहक 1.2 लीटर इंजन कहते हैं. इसी तरह 1498cc इंजन को 1.5 लीटर इंजन कहा जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लीटर आम लोगों को समझने में ज्यादा आसान है, जबकि cc तकनीकी माप है. कारों और बड़ी बाइकों में इंजन की क्षमता ज्यादातर 1000cc से ऊपर होती है, इसलिए उन्हें लीटर में बताना आसान होता है. छोटी बाइकों और स्कूटरों में क्षमता 100cc, 150cc, 350cc जैसी होती है, इसलिए वहां cc का इस्तेमाल होता है.
सरकार ने टैक्स व्यवस्था को आसान बनाने और गाड़ियों की कीमत को संतुलित रखने के लिए इंजन की क्षमता (सीसी) को आधार बनाया है. कारण यह है कि ज्यादा सीसी वाली गाड़ियां ज्यादा ईंधन खपत करती हैं, ज्यादा पावरफुल होती हैं और अक्सर इनकी कीमत भी ज्यादा होती है. इसलिए, सरकार ने तय किया कि छोटे इंजन वाली गाड़ियों पर कम टैक्स और बड़े इंजन वाली गाड़ियों पर ज्यादा टैक्स लगाया जाए.
GST रेट का फर्कहाल ही में आए GST 2.0 में भी यही फॉर्मूला अपनाया गया है. 350cc से कम इंजन वाली मोटरसाइकिलों पर 18 फीसदी GST लगेगा, जिससे आम ग्राहकों के लिए ये सस्ती हो गई हैं. वहीं, 350cc से ज्यादा इंजन वाली बड़ी बाइक्स पर ज्यादा 40 फीसदी टैक्स रहेगा. कारों में भी 1.2 लीटर तक पेट्रोल इंजन और 1.5 लीटर तक डीजल इंजन पर कम टैक्स रखा गया है. इससे हैचबैक और सब-कॉम्पैक्ट कारें किफायती होंगी. लेकिन 1500cc से ऊपर इंजन वाली SUVs और लक्जरी कारों पर ज्यादा 40 फीसदी GST लागू होगा.