लोक अदालत में सुलझाए गए करोड़ों मामले, NALSA ने कहा- जनता को मिली राहत
TV9 Bharatvarsh September 14, 2025 08:42 AM

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) ने शनिवार को 29 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के तालुकों, जिलों और उच्च न्यायालयों में 2025 की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया. इसमें कहा गया है कि लोक अदालत में विवादों पर विचार किया गया, जिसमें मुकदमे से पूर्व के मामले और लंबित मामले शामिल थे.

प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, 2,42,55,036 मामलों का निपटारा किया जा चुका है, जिनमें 2,10,44,809 मुकदमे-पूर्व मामले और 32,10,227 लंबित मामले शामिल हैं, जिनका निपटान मूल्य 7,817.62 करोड़ रुपए से अधिक है. इसमें कहा गया कि लोक अदालत ने नागरिकों को त्वरित, किफायती और सौहार्दपूर्ण न्याय प्रदान करके ‘परिवर्तनकारी राहत’ प्रदान की है.

तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन

दरअसल राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने 2025 की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का शनिवार को 29 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के तालुकों, जिलों और उच्च न्यायालयों (हाईकोर्ट) में सफलतापूर्वक आयोजन किया. यह लोक अदालत भारत के मुख्य न्यायाधीश और NALSA के मुख्य संरक्षक, न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एवं NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति सूर्यकांत के नेतृत्व में आयोजित की गई.

सुलझाए गए करोड़ों मामले

इस लोक अदालत में विवादों की एक विस्तृत श्रृंखला पर विचार किया गया, जिसमें मुकदमे से पहले के और लंबित मामले शामिल थे, जिनमें आपराधिक समझौता योग्य अपराध, दलील सौदेबाजी, राजस्व और बैंक वसूली मामले, मोटर दुर्घटना दावे, चेक अनादर मामले, श्रम और रोजगार विवाद, वैवाहिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण संदर्भ, बौद्धिक संपदा अधिकार विवाद, उपभोक्ता मामले, बिजली और पानी के बिल मामले, यातायात चालान, साथ ही विविध नागरिक विवाद शामिल थे.

शाम 6:30 बजे तक प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, 2,42,55,036 मामलों का निपटारा किया जा चुका है, जिनमें 2,10,44,809 मुकदमे-पूर्व मामले और 32,10,227 लंबित मामले शामिल हैं, जिनका निपटान मूल्य 7,817.62 करोड़ रुपए से अधिक है. विभिन्न राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों से रिपोर्ट प्राप्त होने पर अंतिम आंकड़ों में वृद्धि होने की उम्मीद है.

लोक अदालत की खासियत

इस लोक अदालत की खासियत केवल भागीदारी का पैमाना नहीं है, बल्कि इसने नागरिकों को परिवर्तनकारी राहत दी है. देश भर में एक साथ कार्यरत हजारों पीठों के साथ, विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को उन विवादों का समाधान मिला जो अन्यथा वर्षों तक अदालतों में उलझे रह सकते थे.

संख्याओं से परे, इस लोक अदालत की असली सफलता वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्रों में नागरिकों के विश्वास में निहित है. पारिवारिक विवादों से लेकर व्यावसायिक दावों तक, ये समझौते कलह पर संवाद की उभरती संस्कृति और इस मान्यता को दर्शाते हैं कि न्याय शीघ्र और समाधानकारी दोनों हो सकता है.

समझौता बन जाए पहला विकल्प

यह उपलब्धि न्याय और नागरिकों, विशेष रूप से हाशिए पर पड़े और कमजोर लोगों के बीच की खाई को पाटने के नालसा के अटूट मिशन को पुष्ट करती है, साथ ही न्याय वितरण प्रणाली को एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाती है जहां सौहार्दपूर्ण समझौता अंतिम उपाय न होकर पहला विकल्प बन जाए.

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