Hindi Diwas 2025: 14 सितंबर को क्यों मनाया जाता है 'हिंदी दिवस'? जानें इसका इतिहास
TV9 Bharatvarsh September 14, 2025 04:42 PM

Importance of Hindi Diwas: भारत में हर साल 14 सितंबर के दिन ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है. ये सिर्फ कैलेंडर की तारीख नहीं, बल्कि हमारी पहचान का जश्न है. पिछले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रभाव तेजी से बढ़ा है. इस दिन स्कूल-कॉलेजों में बच्चों की कविताएं, निबंध और बहस गूंजती हैं तो दफ्तरों में भी हिंदी का रंग चढ़ जाता है. यह मौका सिर्फ एक रस्म निभाने का नहीं, बल्कि अपनी भाषा को दिल से अपनाने का है. आज देश भर में ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाएगा. आइए जानते हैं कि 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ क्यों मनाया जाता है.

14 सितंबर 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था. तब से इस तारीख को हर साल देश में ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है. हिंदी सिर्फ बातचीत का जरिया नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और आत्मा की आवाज है. दुनिया भर में इसकी पहचान लगातार मजबूत हो रही है, लेकिन साथ ही यह सोचने का समय भी है कि क्या हम इसे रोजगार और तकनीक की भाषा बना पा रहे हैं? हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि अपनी भाषा से प्यार करना ही नहीं, बल्कि उसे आगे बढ़ाना भी हमारी जिम्मेदारी है.

स्कूलों-कॉलेजों और दफ्तरों में देते हैं सम्मान

‘हिंदी दिवस’ पर स्कूल-कॉलेजों से लेकर दफ्तरों तक, हर जगह हिंदी की धूम रहती है. बच्चों के बीच कविता, बहस और निबंध लिखने की प्रतियोगिताएं होती हैं. भाषण और क्विज भी होते हैं. यह एक तरह से अपनी भाषा को सम्मान दिया जाता है. हिंदी दिवस का मकसद लोगों को याद दिलाना है कि यह भाषा कितनी जरूरी है.

भाषा नहीं , हमारी पहचान है हिंदी

भारत जैसे विविधताओं वाले देश में हिंदी ही वह धागा है, जो एक-दूसरे से जोड़ता है. यह हमारी एकता, परंपरा और संस्कारों का प्रतीक है. यह हमारी संस्कृति और पहचान का प्रतीक है, जो हमें दुनिया में एक अलग जगह दिलाती है.

दुनिया भर में बज रहा है हिंदी का डंका

आज हिंदी सिर्फ़ भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बोली जा रही है. इंग्लिश और चाइनीज (मंदारिन) के बाद यह तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. मॉरीशस, नेपाल, अमेरिका जैसे कई देशों में भारतीय मूल के लोग और दूसरे लोग भी हिंदी बोलते हैं. हिंदी को दुनिया भर में और मशहूर बनाने के लिए हर साल 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ भी मनाया जाता है. अब तो डॉक्टर और इंजीनियर की पढ़ाई भी हिंदी में होने लगी है और सोशल मीडिया पर भी इसका बोलबाला है.

हिंदी को रोजगार की भाषा बनाने की चुनौती

आज भी नौकरी की दुनिया में इंग्लिश का दबदबा है. हमें मिलकर यह तय करना होगा कि हिंदी सिर्फ बोलने की नहीं, बल्कि रोजगार की भी भाषा बने. हम सबको रोज हिंदी बोलने, पढ़ने और लिखने का संकल्प लेना चाहिए.

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