इजराइल-हमास के बीच छिड़ी जंग का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. पहले गाजा, फिर लेबनान, फिर वेस्ट बैंक, सीरिया, यमन और ईरान. इजराइल ने हर जगह हमले किए. हालांकि इन हमलों से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन जैसे ही कतर की राजधानी दोहा में इजराइली बारूद गिरा, अरब रीजन का पूरा समीकरण बदल गया. कूटनीतिक और रणनीति मोर्चे पर इजराइल घिर गया.
इजराइल की जंगी तैयारी के मोर्चे पर गाजा-लेबनान-वेस्ट बैंक-ईरान और यमन थे, लेकिन अचानक इजराइल ने कतर के खिलाफ मोर्चा खोलकर अरब के रणनीतिक समीकरण को बदल दिया. दोहा पर किए गए अटैक को लेकर इजराइल का दावा है कि टारगेट हमास के लीडर थे, लेकिन नेतन्याहू ने इसी हमले से अरब में संग्राम की नींव रख दी.
नेतन्याहू ने क्या लिखी पोस्टदरअसल, कतर पर हमले के बाद बनी स्थिति में अरब के ज्यादातर देशों ने इजराइल का विरोध किया है. हमले को क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ बताया. हालांकि, ट्रंप ने इस विषय पर मध्यस्थता की कोशिश भी की, लेकिन नेतन्याहू ने गुस्सा और ज्यादा भड़का दिया. नेतन्याहू ने पोस्ट लिखी कि हमास के सरगना कतर में रह रहे हैं. उन्हें गाजा के लोगों की परवाह नहीं है. वो युद्ध अंतहीन बनाने की कोशिश में हैं. उन्होंने युद्धविराम की कोशिश को रोका है. उनसे छुटकारा पाकर समस्या खत्म होगी. हमारे सभी बंधकों की रिहाई हो जाएगी. शांति स्थापना की मुख्य बाधा दूर होगी, यानी नेतन्याहू ने सीधे संकेत दिए हैं कि जो हमला कतर पर किया गया, वो न्याय संगत था और आगे भी कतर में हमास के ठिकानों पर हमले से इजराइल गुरेज नहीं करेगा.
दरअसल ये पोस्ट नहीं है बल्कि एक तरह की धमकी है, लेकिन एक अटैक से बदले समीकरण के बीच दोबारा हमला हुआ, तो क्या होगा? जवाब सीधा नहीं है क्योंकि नेतन्याहू के इरादे भांपकर दो मोर्चे पर तैयारी शुरू कर दी गई है. पहला मोर्चा है कूटनीतिक, जिसमें इजराइल के सामने अमेरिका खड़ा है और दूसरा मोर्चा है रणनीतिक, जिसमें इजराइल के विरुद्ध पूरा अरब वर्ल्ड खड़ा है. कतर में मुद्दे पर कूटनीतिक मोर्चा अमेरिका ने खोल दिया है.
ट्रंप ने कतर हमले पर नाराजगी भी जाहिर कर दी है इसलिए ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ इजराइल पहुंच चुके हैं, जिन्होंने ट्रंप की नाराजगी की सूचना इजराइल को दे दी है और ये एक दिन पहले न्यू यॉर्क में हुई कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जासिम अल थानी से ट्रंक मुलाकात के बाद हुआ है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस बैठक में उन्होंने इजराइल के हमले पर नाराजगी जताई है. ये भी बता दिया कि आशंकित हमले को लेकर सैन्य तैयारी शुरू कर दी गई है, यानी ट्रंप के लिए कतर और इजराइल के बीच टकराव संकट खड़ा कर सकता है इसलिए ट्रंप ने तुरंत एक्शन ले लिया.
NATO जैसा संगठन बनाने का प्रस्ताव दोहरायादूसरी तरफ ट्रंप की नाराजगी के पीछे रणनीतिक समीकरणों में अचानक आ रहे बदलाव को भी कारण माना गया है. ये बदलाव आया है, एकजुट हो रहे अरब की वजह से. इजराइली हमले के बाद इस्लामिक देशों ने दोहा में एक सम्मेलन किया है. इस सम्मेलन में इजराइल के हमले की सभी ने मिलकर निंदा की और सुरक्षा के लिए इस्लामिक देशों को एकजुट होने का प्रस्ताव भी रखा. इस प्रस्ताव पर सभी अरब और इस्लामिक देश एकमत नज़र आए, जिसमें इजिप्ट ने 9 साल पहले लाए गए NATO जैसा संगठन बनाने का प्रस्ताव दोबारा दोहराया है.
प्रस्ताव के बिंदुओं में इजिप्ट के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने कहा कि हमें संयुक्त अरब सेना स्थापित करना ही होगा. ये संयुक्त सेना NATO की तरह काम कर सकेगी, जिससे हमले के शिकार किसी भी अरब राज्य की रक्षा करना आसान होगा. हालांकि, ये प्रस्ताव 9 साल पहले भी इजिप्ट ने ही पेश किया था, लेकिन कई बाधाओं के कारण संगठन बन नहीं सका. अब ज्यादातर देश इससे सहमत हैं, जिनमें ईरान भी शामिल हो सकता है क्योंकि ईरान के पूर्व IRGC प्रमुख-कमांडर का दावा है कि इजराइल का अगला निशाना सऊदी, तुर्किये और इराक है और इसे टालने का एक मात्र समाधान सैन्य गठबंधन बनाना है.
संकेत साफ है कि इजराइल की वजह से अरब पर अमेरिका की पकड़ अब ढीली पड़ रही है और नेतन्याहू के आक्रामक तेवर अरब के सैन्य गठबंधन को बहुत जल्द साकार कर सकते हैं. अब अगर ये सैन्य गठबंधन साकार हुआ, तो फिर कतर पर हमला अरब के विनाश का मुख्य कारण बन जाएगा.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष