बिजनौर मे तेंदुओं ने खेतीहर किसान मजदूरों का दिन का चैन रात का सुकून छीन लिया है. चार सालों में सत्तर और पिछले एक साल में 43 इंसानी जान तेदूंए ले चुके हैं. काफी प्रयास करने के बाबजूद वन विभाग तेदुंओं को काबू करने में नाकाम साबित हो रहा है. बिजनौर में पिछले पंद्रह दिनों में चार लोगों को तेदुंए अपना शिकार बना चुके हैं. रविवार को नजीबाबाद के इस्सेपुर गांव की पैतींस साल की मीरा को गुलदार ने मार दिया था. मीरा अपने पति महेंद्र के साथ खेत में घास काट रही थी.
अचानक गन्ने के खेत से निकल कर तेदुंए ने मीरा की गर्दन पर अपने नुकीले दांत गड़ा दिए और खींच कर खेत में ले गया. जब गन्ने के खेत से मीरा की दबी हुई चीख सुनाई दी तब महेंद्र दौड़ कर खेत में पहुंचा. जिसे देख तेदुआ मीरा को मरणासन्न हाल में छोड़ कर भाग निकला. अस्पताल ले जाते वक्त मीरा की मौत हो चुकी थी. बीस किलोमीटर के दायरे में एक के बाद एक लगातार चार मौतें होने के बाद स्थानीय किसानो का सब्र जबाव दे गया है. उन्होंने सैकड़ों की संख्या में भेड़, बकरी, गाय, बैल और भैंस डीएफओ आफिस में घुसा दिए और धरने पर बैठ गये.
50 से ज्यादा पिंजरे लगाएकिसान नेता दिगंबर सिंह का कहना है वन विभाग तेंदुओं को आदम खोर घोषित करे और इनसे ग्रामीणों को निजात दिलाएं. बिजनौर में लगातार तेंदुओ का शिकार बन रहे किसान, मजदूरों और उनके परिजनों की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन जिलों के डीएफओ को बिजनौर कैंप कर ऑपरेशन तेदुंआ चलाने के निर्देश दिये हैं. फिलहाल वन विभाग ने तेदुंओं से निपटने के लिए आठ टीमें बनायी हैं इसके साथ ही पचास से ज्यादा पिंजरे तेदुंए बाहुल्य क्षेत्रों में लगा दिये हैं.
इलाके में 500 से ज्यादा तेंदुएवन विभाग के एसडीओ ज्ञान सिंह ने टीवी9 से बात करते हुए कहा कि बिजनौर में पांच सौ से ज्यादा तेदुंऐ गन्ने के खेतों में डेरा डाले हुए हैं. इसको खाने और रहने की अच्छी महफूज जगह मिल चुकी है. लगातार इनकी पैदावार भी बढ रही है. हालांकिं अब तक करीब एक सौ बीस तेदुंओं को पिंजरो में कैद कर जंगलों और चिड़ियाघरों में भेजा जा चुका है. लेकिन चैलेंज बहुत बड़ा है. स्थानीय किसानों और मजदूरों को वन विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी को फॉलो करना पड़ेगा.