Waqf Law पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुस्लिम पक्ष खुश लेकिन शाम होते ही हो गया खेला, जाने क्या हो गया बड़ा झोल ?
Samachar Nama Hindi September 16, 2025 02:42 PM

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 मामले पर अपना अंतरिम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन कुछ धाराओं पर रोक ज़रूर लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि संसद द्वारा पारित किसी कानून की संवैधानिकता की धारणा हमेशा उसके पक्ष में होती है, लेकिन कुछ प्रावधानों पर अंतरिम संरक्षण आवश्यक है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी से लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, शिया मौलाना कल्बे जवाद और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी तक, सभी मुस्लिम संगठनों और उलेमाओं ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि मुस्लिम संपत्तियों पर सरकारी हस्तक्षेप रोकने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और अपनी जीत का ऐलान किया, लेकिन शाम होते-होते पासा पलट गया। मुस्लिम पक्षकारों की खुशी काफूर हो गई और जिस फैसले को वे सुबह तक अपने पक्ष में मान रहे थे, अब उसे अपने खिलाफ बताने लगे।

वक्फ का फैसला कुछ और ही निकला

वक्फ मामले पर अदालत के फैसले के कार्यकारी पक्ष को अदालत कक्ष में सुनने के बाद मुस्लिम पक्ष इसे राहत और जीत मान रहे थे, लेकिन जब 128 पृष्ठों का फैसला सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। इस पूरे फैसले को संदर्भ सहित विस्तार से पढ़ा गया, तो मुस्लिम पक्षकारों को एहसास हुआ कि जिसे वे जीत और राहत मान रहे थे, वह कुछ और ही निकला।मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम पक्ष के वकीलों में से एक एम.आर. शमशाद ने कहा कि फैसला सुनते समय ऐसा लगा कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून की कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है। इसी के आधार पर हमने शुरुआती प्रतिक्रियाएँ भी दी थीं।हालांकि, जब हमने पूरा फैसला पढ़ा, तो मामला कुछ और ही निकला। शुरुआत में हमें लगा कि अदालत के फैसले में कलेक्टर की शक्तियों पर रोक लगा दी गई है। यह स्वागत योग्य है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने हमारे द्वारा उठाए गए अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी प्रथम दृष्टया निष्कर्ष दिए हैं, लेकिन फैसले में लिखे तथ्य हमें परेशान करने वाले लग रहे हैं।

एएसआई सर्वेक्षण पर कोई रोक नहीं

एम.आर. शमशाद ने बताया कि कानून में संशोधन के तहत एएसआई सर्वेक्षण के अंतर्गत आने वाली वक्फ संपत्तियों को गैर-वक्फ घोषित करने पर चर्चा हुई थी। इस पर दबाव बनाया गया था। अदालत ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई। प्रथम दृष्टया, एक अंतरिम टिप्पणी की गई थी।एएसआई सर्वेक्षण के बाद स्वामित्व का हस्तांतरण चिंता का विषय है। दूसरा अस्पष्ट क्षेत्र धार्मिक विषय को लेकर था। अब इसकी अनुमति होगी या नहीं, यह एक अस्पष्ट क्षेत्र है। आदिवासी क्षेत्रों में मुसलमान अपनी संपत्ति के नाम पर किसी भी ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं कर सकते। इसका सीधा सा मतलब है कि उन्हें अनुच्छेद 25, 26 का अधिकार नहीं है।

वक्फ पर परिसीमा अधिनियम लागू नहीं होगा

शमशाद बताते हैं कि कानून में कहा गया है कि वक्फ पर परिसीमा अधिनियम भी लागू नहीं होगा। इसका मतलब है कि एक बार संपत्ति वक्फ हो जाने पर और कोई उस पर कब्ज़ा या अतिक्रमण कर लेता है, तो 12 साल तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी, क्योंकि परिसीमा अधिनियम लागू नहीं होगा। यह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए था। अब परिसीमा अधिनियम को हटाने का निष्कर्ष निकला है।उनका कहना है कि यह सच है कि वक्फ संपत्तियों पर दूसरों ने अतिक्रमण किया है। अदालत के फैसले में ऐसा लगता है कि वक्फ संस्थाओं ने सरकारी संपत्तियों पर कब्ज़ा कर लिया है। यह एक ऐसा मुद्दा है जहाँ अदालत का ऐसा दृष्टिकोण हमारे लिए समस्याएँ बढ़ाएगा।

अधिकार कलेक्टर के पास ही रहेगा - ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को पहले तो अदालत के फैसले का स्वागत किया और बाद में जब उन्होंने पूरा फैसला पढ़ा, तो उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश भी वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा नहीं कर पाएगा। ओवैसी ने कहा कि इस कानून से अतिक्रमणकारियों को फायदा होगा और वक्फ की जमीन पर विकास कार्य रुक जाएँगे।

ओवैसी ने कहा कि वक्फ कानून पर अदालत का अंतिम फैसला अभी नहीं आया है। यह केवल एक अंतरिम आदेश है। उम्मीद है कि वह (शीर्ष अदालत) जल्द ही इस अधिनियम के पूरे मुद्दे पर फैसला सुनाएगी। ओवैसी ने कहा कि कलेक्टर द्वारा वक्फ संपत्तियों का निरीक्षण करने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई है, लेकिन कलेक्टर के पास अभी भी सर्वेक्षण करने का अधिकार है।

गैर-मुस्लिम की नियुक्ति पर ओवैसी का सवाल

उन्होंने कहा कि सीईओ की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जहाँ तक हो सके, वह मुस्लिम ही होना चाहिए। सरकार यह दावा करेगी कि उन्हें कोई योग्य मुस्लिम नहीं मिला। जो पार्टी किसी भी मुस्लिम को सांसद का टिकट नहीं देती और जिसका एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है, क्या वह किसी मुस्लिम अधिकारी की नियुक्ति करेगी? साथ ही, ओवैसी ने यह भी पूछा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो में कितने मुस्लिम हैं? ओवैसी ने कहा कि वे वक्फ में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति करेंगे। क्यों? यह अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है। अगर किसी गैर-सिख को एसजीपीसी का सदस्य बनाया जाता है, तो सिखों को कैसा लगेगा? ओवैसी ने ऐसे प्रावधानों को धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध बताया और मोदी सरकार से इस पर स्पष्ट जवाब माँगा।

ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रावधान पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई है जिसके तहत किसी व्यक्ति का 5 साल तक मुस्लिम होना अनिवार्य है। ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी भी धर्म के व्यक्ति को दूसरे धर्म को दान देने से रोकता हो। संविधान के अनुच्छेद 300 के अनुसार, मैं अपनी संपत्ति जिसे चाहूँ, दे सकता हूँ। फिर इस्लाम के अनुयायियों के लिए ऐसा प्रावधान क्यों किया गया है? उन्होंने भाजपा से मांग की कि वह धर्मांतरण के बाद वक्फ को संपत्ति दान करने वालों का आंकड़ा पेश करे।

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