नरेंद्र मोदी, जो मौजूदा समय में देश के प्रधानमंत्री (पीएम) नेता के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं, आज, 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो गए. उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय शेयर बाजार में कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए हैं. यही कारण है कि इस दौरान शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी भी देखने को मिली है. उनके पहले कार्यकाल से पहले, बाजार में सुधारों की उम्मीदें जोरों पर थीं, लेकिन कंपाउंडिंग का लेवल उम्मीद से कहीं ज़्यादा रहा है. मई के अंत (26 मई, 2014) से, जब उन्होंने शपथ ली थी, आज, सितंबर 2025 तक, निफ्टी और सेंसेक्स लगभग चार गुना बढ़ चुके हैं.
अगर बात निफ्टी की करें तो आंकड़ा 7,360 के आसपास से बढ़कर मौजूदा समय में 25,100 के लेवल को पार कर गया है. इसका मतलब है कि इस दौरान निफ्टी में 240 फीसदी की तेजी देखने को मिल चुकी है. दूसरी ओर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 24,690 के स्तर पर था और अब 82,000 के ऊपर पहुंच गया है. इस दौरान सेंसेक्स में लगभग 235 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है.
अमेरिकी बाजार के बराबर रिटर्नमुख्य सूचकांकों में तेजी ने भारत को पहले ही दुनिया के सबसे बड़े शेयर बाजार अमेरिका के बराबर ला खड़ा किया है. इस अवधि के दौरान एसएंडपी 500 सूचकांक में भी लगभग 245 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि सेंसेक्स और निफ्टी ने डॉव जोन्स को पीछे छोड़ दिया है, जो इस अवधि के दौरान 175 फीसदी बढ़ा है. लेकिन भारतीय शेयर बाजार के लिए, असली कहानी इसके ब्रॉडर आस्पेक्ट में है.
एसएंडपी 500 की तरह, लगभग समान वॉल्यूम में शेयरों से बना और व्यापक दायरे को समेटे हुए, बीएसई 500 ने लगभग 288 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स वास्तव में अलग-थलग रहे हैं. बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 491 फीसदी उछला है, जबकि बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 435 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है.
इनवासेट पीएमएस के बिज़नेस हेड हर्षल दासानी ने मिंट की रिपोर्ट में कहा कि इसका मतलब है कि धन सृजन कुछ बड़े नामों तक सीमित नहीं रहा – भारत के ब्रॉडर मार्केट ने बड़े पैमाने पर बेहतर प्रदर्शन किया. तुलनात्मक रूप से, डॉव जोन्स 16,717 से 45,883 पर पहुंच गया, जो 174.6 फीसदी बढ़ा और एसएंडपी 500 लगभग +243.9 फीसदी बढ़कर 1,923 से 6,615 पर पहुंच गया. इस प्रकार, भारत के ब्रॉडर इंडेक्स ने पिछले दशक में सबसे मजबूत ग्लोबल इक्विटी कंपाउंडिंग रेट हासिल किया है. वैसे मौजूदा साल में भारतीय शेयर बाजार चालू वर्ष में पिछड़ा हुआ है, फिर भी इसका रिटर्न इंडेक्स से कहीं अधिक है. एमएससीआई ईएम सूचकांक 11 वर्षों में केवल 27 फीसदी बढ़ा है.
शेयर बाजार में तेजी के प्रमुख कारण?मोदी सरकार की पॉलिसीज, निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और कैपेक्स में सुधार, शेयर बाजार में तेजी के प्रमुख कारण रहे हैं. जीएसटी, आईबीसी जैसे सुधारों से लेकर पब्लिक सेक्टर के बैंकों के रीकैपेटिलाइजेशन और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर तक, सरकार ने दक्षता और वित्तीय समावेशन में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया.
इसके अलावा, कैपेक्स पर ध्यान केंद्रित करने से रेलवे, इंफ्रा और डिफेंस जैसे सेक्टर्स की लिस्टेड कंपनियों की वृद्धि को भी बढ़ावा मिला. वित्त वर्ष 2026 में, बजट में कैपेक्स के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 3.4 फीसदी) आवंटित किया गया है.
खुदरा भागीदारी में वृद्धि, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद से, शेयर बाजार के लिए भी एक प्रेरक शक्ति रही है. आर्थिक सर्वे के अनुसार, निवेशकों की भागीदारी सेकंडरी मार्केट की वृद्धि में योगदानकर्ता रही है, जिसमें निवेशकों की संख्या वित्त वर्ष 20 में 4.9 करोड़ से बढ़कर 31 दिसंबर 2024 तक 13.2 करोड़ हो गई है.
ऑटो, एनर्जी के शेयरों में ज्यादा तेजीमोदी की नीतिगत प्राथमिकताएं – बैंक बैलेंस शीट को दुरुस्त करना, बुनियादी ढाँचे पर खर्च और मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करना – क्षेत्रीय रिटर्न में दिखाई दे रही हैं. बैंक निफ्टी 259 फीसदी उछला है, जबकि निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स की वृद्धि लगभग 80 फीसदी पर धीमी रही है. दसानी ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि निफ्टी बैंक की वृद्धि एनपीए से लदी बैलेंस शीट से लेकर मजबूत कैपिटल रेश्यो और दोहरे अंकों की लोन ग्रोथ तक के सफर को दर्शाती है. इसके विपरीत, निफ्टी पीएसयू बैंक इस बात की याद दिलाता है कि सुधारों के दौरान सरकारी बैंकों की रीवैल्यूएशन प्रोसेस में काफी समय लगा.
इस बीच, रिकॉर्ड पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने से समर्थित इंफ्रा और एनर्जी ने अच्छा प्रदर्शन किया. निफ्टी एनर्जी में 244 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि निफ्टी सीपीएसई सूचकांक में 147 फीसदी का ग्रोथ देखने को मिला.
इसी दौरान, उपभोग-केंद्रित निफ्टी ऑटो में पिछले 11 वर्षों में सबसे ज़्यादा 316 फीसदी की वृद्धि हुई. जीएसटी दरों में हालिया कटौती भी इस वृद्धि में एक प्रमुख योगदानकर्ता रही है. निफ्टी आईटी इंडेक्स में भी 300 फीसदी से ज्यादा इजाफा देखने को मिला.
क्या बाजार जाएगा 1 लाख अंकों के पार?मौजूदा समय में भारतीय शेयर बाजार अनिश्चितता में फंसा हुआ है. पिछले एक साल से सेंसेक्स लाल निशान पर है, ऐसे में सवाल यह है कि क्या उनके कार्यकाल के अगले चार सालों में 1,00,000 का आंकड़ा छूना संभव है? दासानी मीडिया रिपोर्ट में कहा वित्त वर्ष 26-27 में कॉर्पोरेट इनकम में 10-12 फीसदी कंपाउंडिंग एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) की दर से वृद्धि की उम्मीद है, साथ ही ग्लोबल ब्याज दरों में नरमी और तेल की स्थिर कीमतों के साथ, यह मोदी के मौजूदा कार्यकाल में हासिल किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर ग्लोबल रिस्क बने हुए हैं. जिसमें कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल, ग्लोबल मंदी, या चक्रीय ब्याज दरों में गिरावट आदि शामिल हैं.