पीएम मोदी के जन्मदिवस पर माओवादियों ने स्वीकारी हार, सशस्त्र संगठन ने की युद्ध विराम की अपील
TV9 Bharatvarsh September 18, 2025 03:42 PM

नक्सलियों के प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) ने पहली बार अपनी गंभीर गलतियों, बार-बार की असफलताओं और रणनीतिक चूकों को स्वीकार करते हुए सशस्त्र संघर्ष को अस्थायी रूप से निलंबित करने की घोषणा की है. साथ ही संगठन ने केंद्र और राज्य सरकारों के साथ शांति वार्ता की इच्छा जताई है.

यह बयान अगस्त के महीने में जारी एक कथित दस्तावेज में माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य (पीबीएम) की ओर से सामने आया है. पुलिस ने कहा कि वो इस बयान की प्रामाणिकता की जांच कर रहे हैं.

पहली बार माओवादियों ने मानी हार

मंगलवार को सीपीआई (माओवादी) के प्रवक्ता अभय का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. जिसमें दावा किया गया कि संगठन ने अपने सशस्त्र संघर्ष को अस्थायी रूप से रोकने और सरकारों के साथ शांति वार्ता के लिए तत्परता दिखाने का फैसला किया है.

बुधवार को सामने आए 6 पन्नों के एक बयान में, जो पार्टी के वरिष्ठ नेता सोनू के नाम से जारी हुआ, माओवादियों ने स्वीकार किया कि संगठन भारत की बदलती परिस्थितियों के अनुकूल ढलने में विफल रहा और अपने गढ़ों में भारी नुकसान झेला. बयान में कहा गया कि भारी बलिदानों के बावजूद, हमारी गलत नीतियों और दिशा सुधारने में असमर्थता ने देश भर में क्रांतिकारी आंदोलन को कमजोर किया.

जनता से मांगी माफी

बयान में एक माफी भी शामिल है. इसमें कहा गया, हम अनावश्यक बलिदानों, आपके सामने आई परेशानियों और हमारी संकीर्ण नीतियों से हुए दर्द के लिए जिम्मेदारी लेते हैं. हम जनता से माफी मांगते हैं. एक अन्य हिस्से में लिखा है, सशस्त्र संघर्ष को रोके बिना और अपनी गलतियों से सबक लिए बिना क्रांतिकारी आंदोलन को पुनर्जनन करना असंभव है.

वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि दंडकारण्य, बिहार-झारखंड, ओडिशा और अन्य क्षेत्रों में आंदोलन कमजोर हुआ है और सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों से भारी नुकसान हुआ है. बयान में कहा गया, जहां हमारे मजबूत आधार थे, वहां भी हम समय रहते कमजोरियों को पहचानने में विफल रहे. हमारे कार्यकर्ताओं के बलिदानों के बावजूद, हमारी कमियों ने आंदोलन को पीछे धकेल दिया.

निर्णय के पीछे क्या बताई वजह

माओवादियों ने इस रुकावट को पुनर्गठन के लिए जरूरी बताया. इस निर्णय के पीछे का कारण बताते हुए माओवादियों ने कहा कि यह रुकावट पुनर्गठन के लिए जरूरी है. बयान में कहा गया, कृपया समझें कि यह आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि एक जरूरी ठहराव है. केवल जन शक्ति के निर्माण और लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करके ही हम संघर्ष को सही दिशा में ले जा सकते हैं.

बयान में सरकार से सीधे तौर पर अपील की गई है. इसमें कहा गया, हम शांति वार्ता के लिए तैयार हैं. हम केंद्र से अनुरोध करते हैं कि वह युद्धविराम की घोषणा करे और जंगलों में चल रही तलाशी कार्रवाइयों को रोके ताकि खून से सने जंगल शांति के जंगल बन सकें. इसके साथ ही, संगठन ने बुद्धिजीवियों, अधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों और कलाकारों से बदली हुई परिस्थितियों को समझने और समर्थन देने की अपील की.

जेल में बंद नक्सलियों से मांगा सुझाव

पार्टी ने अपने राज्य और क्षेत्रीय समितियों, साथ ही जेल में बंद सदस्यों से युद्धविराम चरण के दौरान सुझाव भेजने को कहा है. संपर्क विवरण जिसमें एक ईमेल आईडी और सोशल मीडिया हैंडल शामिल हैं, भी साझा किए गए हैं.

छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने इस प्रेस नोट पर ध्यान दिया है और इसकी प्रामाणिकता की जांच कर रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, वार्ता का कोई भी निर्णय सरकार के पास है. अभी के लिए, बयान की जांच की जा रही है.

माओवादी आंदोलन, जो कभी 16 राज्यों के 150 जिलों में फैला हुआ था, पिछले एक दशक में निरंतर अभियानों, विकास कार्यों और वरिष्ठ नेताओं की आत्मसमर्पण और मृत्यु के कारण काफी कमजोर हुआ है. हाल के वर्षों में केंद्रीय समिति के सदस्यों, जैसे मोडेम बालकृष्ण और सुजाता को निष्प्रभावी किया गया है, जिससे संगठन और कमजोर हुआ है.

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