बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। शिवहर से आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने अब राजद से नाता तोड़ लिया है। पिछले कुछ समय से उनके रुख में बदलाव साफ देखा जा रहा था। खासकर हाल के फ्लोर टेस्ट के दौरान चेतन आनंद ने आरजेडी से अलग राह पकड़ी थी। तभी से उन पर पार्टी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ओर से लगातार ‘धोखा देने’ के आरोप लगाए जाते रहे हैं।
आरजेडी ने चेतन आनंद के रुख को पार्टी के खिलाफ ‘गंभीर अनुशासनहीनता’ बताया था। पार्टी सूत्रों के अनुसार, चेतन आनंद को कई बार समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वे लगातार दूरी बनाते गए। धीरे-धीरे उनकी राजनीतिक गतिविधियाँ भी पार्टी लाइन से अलग दिखने लगीं।
इन आरोपों और सवालों के बीच अब उनके पिता और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने इस मामले पर खुलकर प्रतिक्रिया दी है। आनंद मोहन ने कहा कि चेतन आनंद ने जो भी निर्णय लिया है, वह पूरी तरह से उनकी अपनी सोच और परिस्थितियों पर आधारित है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चेतन की राजनीतिक दिशा पर टिप्पणी करना उनका निजी विषय है।
आनंद मोहन ने कहा, “राजनीति में हर व्यक्ति को अपनी राह चुनने का अधिकार है। चेतन युवा हैं और उन्हें जो सही लगता है, वही कदम उठा रहे हैं। उन्हें लेकर जो भी सवाल उठाए जा रहे हैं, उसका जवाब समय ही देगा।”
पिछले कुछ महीनों से शिवहर की सियासत में चेतन आनंद के रुख को लेकर चर्चाएँ जोरों पर थीं। स्थानीय स्तर पर भी लोग यह जानना चाह रहे थे कि वे किस राजनीतिक खेमे में अपना भविष्य तलाशेंगे। वहीं आरजेडी खेमे में उनके खिलाफ नाराज़गी खुलकर सामने आती रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि चेतन आनंद का आरजेडी से अलग होना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। शिवहर क्षेत्र में उनकी पकड़ और पहचान मजबूत रही है। वहीं, आनंद मोहन का नाम भी वहां की राजनीति में प्रभावशाली रहा है। ऐसे में अगर चेतन किसी दूसरे दल का दामन थामते हैं, तो समीकरण बदल सकते हैं।
राजद कार्यकर्ताओं ने चेतन आनंद को पार्टी छोड़ने पर कटाक्ष किया है। उनका कहना है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान ही उन्होंने पार्टी से विश्वासघात कर दिया था और अब औपचारिक रूप से अलग होना उसी सिलसिले का हिस्सा है। दूसरी ओर चेतन आनंद के समर्थक मानते हैं कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें उचित सम्मान और अवसर नहीं दिया, जिसके कारण यह स्थिति बनी।
चेतन आनंद की चुप्पी ने सस्पेंस और बढ़ा दिया है। अभी तक उन्होंने अपने अगले राजनीतिक कदम का ऐलान नहीं किया है। वहीं, यह अटकलें तेज हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों में वे किसी नए मंच से अपनी सियासी पारी आगे बढ़ा सकते हैं।
फिलहाल, बिहार की राजनीति में चेतन आनंद और आनंद मोहन का नाम फिर से चर्चा में है। आने वाले समय में उनकी राजनीतिक दिशा प्रदेश के समीकरणों पर असर डाल सकती है।