गुणों की खान है कच्चा केला: बीपी, शुगर और मोटापा सब पर रहेगा नियंत्रण
Navyug Sandesh Hindi September 19, 2025 05:42 PM

अक्सर केला को मीठा फल माना जाता है और पकने के बाद ही इसका सेवन खूब होता है, लेकिन जब कच्चा या हरा केला (green banana / raw banana) समय पर लिया जाए, तो यह स्वास्थ्य के कई मामलों में वरदान साबित हो सकता है। कुछ ताज़ा शोध बताते हैं कि इसमें मौजूद पोषक तत्व और रेसिस्टेंट स्टार्च, फाइबर आदि ऐसे गुण देते हैं कि यह ब्लड प्रेशर, रक्त शर्करा (शुगर) और वजन (मोटापा) नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

कच्चे केले के महत्त्वपूर्ण असर

लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स और शुगर नियंत्रण
कच्चे केले में शुगर की मात्रा कम होती है और उनकी रेसिस्टेंट स्टार्च (resistant starch) अधिक होती है, जिसका पाचन धीमा होता है। इस वजह से ग्लूकोज़ ब्लड में जल्दी नहीं पहुंचता, जिससे शुगर के स्तर में अचानक वृद्धि नहीं होती। शोधों के अनुसार, यह मधुमेह या उस अवस्था के व्यक्तियों के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।

ब्लड प्रेशर (BP) पर नियंत्रण
कच्चे केले में पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर से सोडियम (नमक) के प्रभाव को कम करने तथा रक्त वाहिकाओं को आराम देने में मदद करता है। यह रक्त चाप को संतुलित करने में सहायक है।

वजन प्रबंधन और मोटापा घटाने में सहायक
क्योंकि कच्चे केले में फाइबर ज्यादा होता है, ये पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराते हैं। भूख कम लगती है, बीच‑बीच में अधिक स्नैक्स खाने की जरूरत नहीं पड़ती। साथ ही, रेसिस्टेंट स्टार्च फैट बर्निंग (वसा जलाने) प्रक्रिया को भी प्रेरित कर सकता है।

पाचन स्वास्थ्य और आंतों की सफाई
कच्चे केले में मौजूद फाइबर और रेसिस्टेंट स्टार्च आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं। इससे कब्ज़, अपच जैसी समस्याएँ कम होती हैं। नियमित पाचन बेहतर होता है और मल‑सम्बन्धी परेशानियाँ कम होती हैं।

पूरे शरीर के लिए पोषण व इम्यूनिटी में मदद
कच्चे केले में विटामिन B6, विटामिन C, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे खनिज पाए जाते हैं जो इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं, कोशिकाओं की मरम्मत में कर्‍यकारी हैं और शरीर की ऊर्जा बनाए रखने में काम आते हैं।

उपयोग करने में ध्यान देने योग्य बातें

कच्चे केले का अधिक सेवन करने से पेट फूलना या गैस की समस्या हो सकती है, विशेषकर उन लोगों में जिनकी पाचन शक्ति कमजोर हो।

यदि किसी को मधुमेह की स्थिति बहुत संवेदनशील हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर है कि कितने केले रोज़ खाने चाहिए।

केले को बेहतर तरीके से पचाने के लिए, उसे भूने, उबले या हल्के पकाकर भी उपयोग किया जा सकता है न कि पूरी तरह कच्चा।

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