ये रहस्यमयी पौधा बाहर निकला पेट घटाए, 21 दिन में गठिया मिटाए और गंजेपन में नए बाल उगाए
Himachali Khabar Hindi September 20, 2025 09:42 AM

आक का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है, लेकिन गलत प्रयोग करने पर यह विषैला साबित हो सकता है।

  • आयुर्वेद में आक को उपविषों में गिना गया है, फिर भी उचित मात्रा और सही विधि से इसका प्रयोग रोगों में लाभकारी है।
  • आक की पत्तियाँ, जड़, फूल और दूध-हर अंग का अलग-अलग औषधीय महत्व है।
  • शुगर, गठिया, बवासीर, खाँसी और त्वचा रोग जैसे कई रोगों में आक का उपयोग किया जाता है।
  • आक का दूध और जड़ का सेवन केवल अनुभवी वैद्य की देखरेख में ही करना चाहिए।

आक का पौधा: औषधीय गुणों से भरपूर लेकिन सावधानी जरूरी

आक का पौधा और समाज में प्रचलित भ्रांतियाँ

भारत में प्राचीन काल से ही औषधीय पौधों का महत्व रहा है। इन्हीं में से एक है आक का पौधा, जिसे अलग-अलग क्षेत्रों में मदार, मंदार या अर्क भी कहा जाता है। आमतौर पर यह शुष्क, ऊसर और ऊँची भूमि पर आसानी से उग जाता है। गाँवों और कस्बों में यह प्रायः हर जगह देखने को मिलता है।

साधारण समाज में यह धारणा बनी हुई है कि आक का पौधा अत्यंत विषैला होता है और इसका संपर्क भी खतरनाक है। इसमें आंशिक सच्चाई है क्योंकि आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी इसे उपविषों में शामिल किया गया है। हालांकि, विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि इसका उपयोग उचित मात्रा और सही तरीके से किया जाए तो यह कई गंभीर रोगों के उपचार में कारगर साबित हो सकता है।

आक का पौधा: रूप, रंग और पहचान

आक का स्वरूप

  • आक का पौधा एक झाड़ीदार पादप है।
  • इसकी पत्तियाँ मोटी, हरे-सफेद रंग लिए होती हैं और पकने पर पीली हो जाती हैं।
  • फूल छोटे, सफेद और छत्तेदार होते हैं जिन पर बैंगनी चित्तियाँ दिखाई देती हैं।
  • इसके फल आम की तरह दिखाई देते हैं जिनमें रुई जैसी रेशेदार सामग्री होती है।
  • इसकी शाखाओं को तोड़ने पर सफेद दूध जैसा द्रव निकलता है जो विषैला माना जाता है।

आक के पौधे के औषधीय गुण

रासायनिक तत्व

आक का पौधा अपने औषधीय महत्व के लिए जाना जाता है। वैज्ञानिक विश्लेषण से पता चलता है कि इसकी जड़ और तने में एमाईरिन, गिग्नटिओल, केलोट्रोपिओल जैसे तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा पत्तियों और दूध में ट्रिप्सिन, उस्कैरिन, केलोट्रोपिन और केलोटोक्सिन पाए जाते हैं। यही तत्व आक को औषधीय गुण प्रदान करते हैं।

आक का पौधा: 9 प्रमुख फायदे

शुगर और मोटापा नियंत्रित करने में सहायक

आक की पत्ती को उल्टा कर पैर के तलवे में बांधकर मोजा पहनने से ब्लड शुगर सामान्य होने लगता है। साथ ही बाहर निकला पेट भी धीरे-धीरे कम होने लगता है।

घाव भरने में उपयोगी

आक के पत्ते तेल में जलाकर घाव या सूजन पर लगाने से आराम मिलता है। यह प्राकृतिक एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है।

खाँसी और सांस संबंधी रोग

आक की जड़ के चूर्ण में काली मिर्च मिलाकर बनाई गई गोलियाँ खाँसी और बलगम को दूर करने में मदद करती हैं।

सिरदर्द से राहत

सूखी डंडी का धुआँ नाक से खींचने या जड़ की राख का लेप करने से सिरदर्द और खुजली में लाभ होता है।

गठिया और जोड़ों का दर्द

आक की जड़ और गेहूँ से बने विशेष आटे की रोटी का सेवन करने से पुराना गठिया भी ठीक हो सकता है।

बवासीर का इलाज

आक के दूध और पत्तियों से बने मिश्रण का उपयोग बवासीर के मस्सों पर करने से आराम मिलता है।

बाल झड़ने की समस्या

जहाँ बाल झड़ चुके हों वहाँ आक का दूध लगाने से नए बाल उगने लगते हैं।

दाद और खुजली

आक के दूध को हल्दी और तेल के साथ मिलाकर दाद और खुजली में लगाया जाए तो तेजी से लाभ मिलता है।

कान का बहरापन

आक के पत्तों को घी के साथ गर्म कर उसका रस कान में डालने से बहरापन दूर हो सकता है।

आक का पौधा और इसके हानिकारक प्रभाव

सावधानी आवश्यक

हालाँकि आक का पौधा कई रोगों में लाभकारी है, लेकिन इसका अत्यधिक प्रयोग खतरनाक हो सकता है। आक की जड़ की छाल ज्यादा लेने पर आंतों और पेट में जलन, उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है।

विषैले तत्व

आक का ताजा दूध विष की तरह काम करता है। इसकी अधिक मात्रा शरीर में विषाक्त प्रभाव पैदा कर सकती है। आयुर्वेद में भी इसकी पुष्टि की गई है।

सुरक्षा उपाय

यदि गलती से आक का अधिक सेवन हो जाए तो घी और दूध का उपयोग इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार आक का प्रयोग केवल योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए।

आक का पौधा भारतीय परंपरा और आयुर्वेद दोनों में विशेष स्थान रखता है। यह जितना खतरनाक है, उतना ही लाभकारी भी साबित हो सकता है। सही मात्रा, सही विधि और अनुभवी वैद्य की देखरेख में इसका उपयोग अनेक रोगों में आश्चर्यजनक परिणाम देता है। समाज में प्रचलित भ्रांतियों के बावजूद, यदि जागरूकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो आक वास्तव में प्रकृति का अद्भुत उपहार है।

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