शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में रिश्तेदार मतदाताओं की संख्या अधिक पाई गई है। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल 21 लाख 55 हजार 802 मतदाता हैं, जिनमें से 6 लाख 64 हजार 427 मतदाता किसी न किसी तरह से रिश्तेदार हैं। यह आंकड़े 2003 की मतदाता सूची के आधार पर तैयार किए गए हैं।
विश्लेषण से पता चलता है कि कहलगांव ब्लॉक में सबसे अधिक रिश्तेदार मतदाता हैं। इसके बाद पीरपैंती ब्लॉक का स्थान है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार और रिश्तेदारों के बीच चुनावी प्रभाव अधिक होने के कारण यह आंकड़े अपेक्षाकृत अधिक दिखाई दे रहे हैं।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जिले की कुल मतदाता सूची में ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। इन मतदाताओं में बड़ी संख्या में वे लोग शामिल हैं जिनके परिवार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वहीं, शहरी क्षेत्रों में रिश्तेदार मतदाताओं की संख्या अपेक्षाकृत कम है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि रिश्तेदार मतदाताओं की अधिक संख्या का चुनाव परिणामों पर प्रभाव पड़ सकता है। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में परिवार और संबंधों का बड़ा महत्व होता है, इसलिए राजनीतिक दलों के लिए इन मतदाताओं की पकड़ बनाए रखना अहम रणनीति बन जाता है।
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि इस तरह के आंकड़े राजनीतिक दलों को अपनी रणनीति तैयार करने में मदद करते हैं। वे जान सकते हैं कि किन इलाकों में परिवार आधारित वोट बैंक अधिक मजबूत है और किन क्षेत्रों में नए मतदाताओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
कहलगांव और पीरपैंती में रिश्तेदार मतदाताओं की संख्या अधिक होने का कारण सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को माना जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में परिवारिक संरचना अधिक घनी होने के कारण कई बार एक ही परिवार के कई सदस्य मतदाता सूची में शामिल होते हैं। वहीं, शहरी क्षेत्रों में परिवार के सदस्य अलग-अलग जगह रहते हैं और मतदाता सूची में उनकी हिस्सेदारी कम दिखाई देती है।
चुनाव आयोग ने यह आंकड़ा सार्वजनिक करते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची समय-समय पर अपडेट की जाती रहती है और इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटियों को दूर किया जाता है। साथ ही, आयोग ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक जानकारी को सत्यापित करें ताकि सूची में सही और अद्यतन विवरण दर्ज हो।
विशेषज्ञों का यह मानना है कि आने वाले चुनावों में ग्रामीण क्षेत्रों के रिश्तेदार मतदाता अहम भूमिका निभा सकते हैं। राजनीतिक दलों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन मतदाताओं के बीच अपनी नीतियों और संदेशों को प्रभावी रूप से पहुंचाएं।
इस प्रकार, जिले में ग्रामीण इलाकों में रिश्तेदार मतदाताओं की अधिक संख्या न केवल चुनावी रणनीतियों को प्रभावित कर रही है, बल्कि यह सामाजिक और पारिवारिक ढांचे की भी एक झलक पेश करती है।