केंचुआ खाद बनाने की सरल विधि: जानें कैसे करें वर्मी कंपोस्ट तैयार
newzfatafat September 20, 2025 09:42 PM
केंचुआ खाद का महत्व

केंचुआ खाद, जिसे वर्मी कंपोस्ट भी कहा जाता है, जैविक खाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। किसान इसे खेतों में केंचुओं की सहायता से आसानी से तैयार कर सकते हैं। यह खाद मात्र 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है। विशेषज्ञ डॉ. किरण कुमारी, जो रीजनल सॉइल टेस्टिंग लैब की इंचार्ज हैं, के अनुसार, कचरे को खाद में बदलने के लिए केंचुओं को नियंत्रित वातावरण में रखना आवश्यक है। इसे वर्मीकल्चर कहा जाता है, जहां केंचुए कचरा खाकर कास्ट निकालते हैं, जो बाद में वर्मी कंपोस्ट बन जाती है। ध्यान रखें कि इसे छायादार स्थान पर ही बनाना चाहिए।


गोबर की खाद का सही उपयोग

वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए उपजाऊ मिट्टी का चयन करें और 20 से 25 दिन पुरानी गोबर का उपयोग करें। कार्बनिक सामग्री में 60% हिस्सा होना चाहिए, जैसे पुआल, भूसा, गन्ने की खोई, फसल अवशेष, और पशुओं का बचा चारा। ये सामग्री थोड़ी सड़ी हुई होनी चाहिए। वर्मी कंपोस्ट 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाता है। जब बैड की ऊपरी परत पर चायपत्ती जैसी दानेदार खाद दिखाई देने लगे, तो समझें कि प्रक्रिया सफल रही।


केंचुआ खाद बनाने की विधि

यदि बैड कच्चा है, तो भूसा या पराली की 4 से 5 इंच मोटी परत बिछाएं। पक्के बैड पर 1 इंच मिट्टी की परत डालें, फिर 4 इंच गोबर की परत, उसके बाद 1 फीट फसल अवशेष और अंत में 2 इंच गोबर डालें। हर परत के बाद पानी छिड़कना न भूलें। प्रति वर्ग मीटर कम से कम 500 केंचुए या प्रति क्विंटल सामग्री पर 200 केंचुए डालें।


बैड का प्रबंधन

सामग्री डालने के बाद पानी देना बंद कर दें। ऊपर से सूखी खाद को रोजाना हाथ या खुरपी से इकट्ठा करें, जिससे सभी केंचुए नीचे मिट्टी की परत में चले जाएंगे। फिर ऊपर सामग्री डालकर प्रक्रिया को दोहराएं। यदि खाद अधिक गीली हो जाए, तो इसे धूप में हल्का सुखाएं, लेकिन पूरी तरह सूखने न दें। इकट्ठी खाद में केंचुओं के अंडे भी हो सकते हैं, इसलिए 2-3 मिमी मेश वाली छलनी से छान लें।


केंचुओं की देखभाल

कुछ दिनों बाद, केंचुए बैड के अंदर चले जाएंगे। तब इसे बोरी या पराली से ढकें और पानी डालें। गर्मियों में रोज 2-3 बार और सर्दियों में एक बार पानी छिड़कें। केंचुओं की सक्रियता के लिए तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। गर्मियों में बोरियों का उपयोग करें और बार-बार पानी दें। इन सुझावों का पालन करके किसान न केवल अपनी फसलें मजबूत बना सकते हैं, बल्कि व्यापार भी शुरू कर सकते हैं।


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