राजस्थान के पाली जिले के रोहट के अरटिया गांव में पिछले तीन महीने से एक युवती को पैरों में लोहे की जंजीर से बांधकर रखने का मामला सामने आया है। यह स्थिति तब उजागर हुई जब घर में बंद युवती का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो देख स्थानीय प्रशासन और चिकित्सा विभाग हरकत में आया और तुरंत कार्रवाई की।
चिकित्सा विभाग की त्वरित प्रतिक्रियाअधिकारियों ने युवती के घर पहुंचकर उसके पैरों की जंजीर खोलवाई और उसे एंबुलेंस में पाली लेकर आए। बांगड़ अस्पताल में मनोरोग चिकित्सक डॉ. दलजीत सिंह राणावत ने युवती का इलाज शुरू किया। डॉक्टरों का कहना है कि युवती मानसिक और शारीरिक दोनों दृष्टियों से बेहद कमजोर स्थिति में थी और उसे तत्काल चिकित्सकीय देखरेख की आवश्यकता थी।
परिवार की स्थिति और सामाजिक पहलूअतिरिक्त मुख्य चिकित्साधिकारी वेदांत गर्ग ने बताया कि युवती का परिवार बहुत गरीब और अशिक्षित है। उन्होंने कहा, "परिवार की आर्थिक और सामाजिक स्थिति इतनी कमजोर है कि अब तक युवती का आधार कार्ड तक नहीं बना हुआ। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें आधारभूत जानकारियां और अधिकार भी नहीं मिले हैं।"
घटना का सामाजिक प्रभावइस मामले ने अरटिया गांव और आसपास के इलाकों में शॉक पैदा कर दिया। स्थानीय लोगों ने इस घटना को मानवाधिकारों के उल्लंघन और महिलाओं व युवाओं के प्रति अमानवीय व्यवहार का उदाहरण बताया। कई सामाजिक कार्यकर्ता इस घटना को लेकर प्रशासन और समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।
प्रशासन की कार्रवाईपाली जिला प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए तुरंत संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। स्थानीय पुलिस और महिला कल्याण विभाग ने परिवार के साथ बातचीत कर सुरक्षा और सामाजिक सहायता की प्रक्रिया शुरू की है। अधिकारी यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि युवती को अब कोई खतरा न हो और उसका पुनर्वास हो सके।
मानसिक और शारीरिक उपचारडॉ. दलजीत सिंह राणावत ने बताया कि युवती का मानसिक इलाज शुरू कर दिया गया है। उसकी हालत धीरे-धीरे सुधर रही है। उसके मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास के लिए अस्पताल प्रशासन ने लंबी अवधि का प्लान तैयार किया है। इसके अलावा युवती की सुरक्षा और परामर्श सेवाओं की व्यवस्था भी की गई है