किस्मत ने कैसे बदली प्रेम चोपड़ा और पलाश सेन की जिंदगी? जानें इनकी अनसुनी कहानी
Stressbuster Hindi September 23, 2025 07:42 AM
किस्मत का खेल: प्रेम चोपड़ा और पलाश सेन की अनोखी यात्रा



मुंबई, 22 सितंबर। बॉलीवुड में कई ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने अपने सपनों को छोड़कर किस्मत के दरवाजे पर दस्तक दी। प्रेम चोपड़ा और डॉ. पलाश सेन ऐसे ही दो नाम हैं, जिनकी जिंदगी ने एक अनपेक्षित मोड़ लिया। पलाश सेन, जो कभी डॉक्टर बनने का सपना देख रहे थे, अचानक गायक बन गए, जबकि प्रेम चोपड़ा, जो मामूली नौकरी कर रहे थे, फिल्मों में नजर आने लगे।


प्रेम चोपड़ा का जन्म 23 सितंबर 1935 को लाहौर में हुआ। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद उनका परिवार शिमला चला आया। वहीं, उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और पंजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक किया। उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर या सरकारी अधिकारी बनें, लेकिन प्रेम का झुकाव रंगमंच की ओर था। उन्होंने थिएटर में भाग लिया और नौकरी की तलाश में मुंबई आ गए। यहां उन्होंने एक अखबार में काम करना शुरू किया।


एक दिन, लोकल ट्रेन में सफर करते समय एक अजनबी ने उनसे पूछा, 'क्या आप फिल्म में काम करना चाहेंगे?' प्रेम ने तुरंत 'हां' कह दिया। उसी अजनबी के माध्यम से उन्हें पंजाबी फिल्म 'चौधरी करनैल सिंह' में काम करने का अवसर मिला, जिससे उनके फिल्मी करियर की शुरुआत हुई। यह फिल्म सफल रही और इसके बाद उन्हें हिंदी फिल्मों में छोटे-छोटे रोल मिलने लगे।


1964 में आई फिल्म 'वो कौन थी?' ने उनके करियर को एक नया मोड़ दिया, जिसमें उन्होंने खलनायक का किरदार निभाया। इसके बाद, वह बॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध विलेन बन गए। उनका प्रसिद्ध डायलॉग 'प्रेम नाम है मेरा… प्रेम चोपड़ा' आज भी लोगों की जुबां पर है। उन्होंने लगभग 400 फिल्मों में काम किया, जिनमें 'शहीद', 'बॉबी', 'गुप्त', और 'कोई मिल गया' जैसी चर्चित फिल्में शामिल हैं।


अपने लंबे करियर में, उन्होंने कई पुरस्कार जीते और हर पीढ़ी पर छाप छोड़ी। 89 साल की उम्र में भी वह सिनेमा से जुड़े हुए हैं और हाल ही में आर्यन खान द्वारा निर्देशित सीरीज 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' में दिखाई दिए।


वहीं, डॉ. पलाश सेन की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है। उनका जन्म 23 सितंबर 1965 को दिल्ली में हुआ। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई की और सर्जन बनने का इरादा किया। लेकिन मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उन्हें संगीत का जुनून लग गया। 1998 में, उन्होंने 'यूफोरिया' नामक एक इंडी रॉक बैंड की स्थापना की, जिसने हिंदी संगीत को नई दिशा दी। उनके गाने 'मायरी', 'धूम पिचक धूम', और 'जिया जाए न' ने लोगों के दिलों में जगह बनाई।


पलाश सेन अपने अनोखे अंदाज और देसी रॉक म्यूजिक के लिए जाने जाते हैं। संगीत में सफलता के बाद, उन्होंने फिल्मों की ओर भी कदम बढ़ाया और 'फिलहाल' और 'लक्ष्य' जैसी फिल्मों में अभिनय किया। हालांकि, उनकी पहचान मुख्य रूप से एक गायक के रूप में बनी रही। उनकी फिल्म में एंट्री भी अप्रत्याशित थी, जैसे प्रेम चोपड़ा की।


पलाश सेन न केवल गायक हैं, बल्कि एक डॉक्टर, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह लाइव कॉन्सर्ट्स के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन करते रहते हैं।


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