डाबर की याचिका पर पतंजलि के च्यवनप्राश विज्ञापन पर हाई कोर्ट की रोक
Udaipur Kiran Hindi September 24, 2025 12:42 AM

– हाई कोर्ट ने पतंजलि को विज्ञापनों में संशोधन करने की अनुमति दी

New Delhi, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) . दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस हरिशंकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने पतंजलि को ’40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से क्यों संतुष्ट हों?’ जैसे वाक्यांशों वाले विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया है, क्योंकि एकल खंडपीठ ने इसे अपमानजनक माना था.

डाबर की याचिका पर यह रोक लगाई गई है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पतंजलि के विज्ञापन उसके च्यवनप्राश उत्पाद और अन्य निर्माताओं का अपमान कर रहे हैं. डिवीजन बेंच ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद च्यवनप्राश को लेकर अपने विज्ञापन में संशोधन करने की अनुमति दे दी है. बेंच ने कहा कि पतंजलि अपने विज्ञापन में ये कह सकता है कि ‘साधारण च्यवनप्राश का इस्तेमाल क्यों करें.’

कोर्ट ने कहा कि 30 साल पहले के विज्ञापनों और हाल के विज्ञापनों में काफी फर्क आया है. कोर्ट ने कहा कि ये प्रचारित करना ठीक है कि मैं सर्वश्रेष्ठ हूं और बाकी अच्छे नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि जागरुक उपभोक्ता पतंजलि के साधारण शब्द के इस्तेमाल से डाबर को नहीं छोड़ने जा रहे हैं.

इससे पहले 19 सितंबर को डिवीजन बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाते हुए कहा कि या तो आप याचिका वापस लीजिए या जुर्माने के लिए तैयार रहिए. डिवीजन बेंच ने कहा था कि सिंगल बेंच के आदेश में पतंजलि को पूरे विज्ञापन को हटाने के लिए नहीं कहा गया, बल्कि उसके कुछ हिस्सों में सुधार करने को कहा था.

इससे पहले 3 जुलाई को उच्च न्यायालय के जस्टिस मिनी पुष्करणा की सिंगल बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भी भ्रामक या नकारात्मक विज्ञापन का प्रसारण नहीं करने का निर्देश दिया था. सिंगल बेंच के इसी आदेश को पतंजलि आयुर्वेद ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी है.

डाबर इंडिया ने सिंगल बेंच में याचिका दायर की थी. सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान डाबर इंडिया की ओर से पेश वकील ने आरोप लगाया था कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद अपने विज्ञापनों के जरिये च्यवनप्राश को गलत तरीके से बदनाम कर रही है. पतंजलि आयुर्वेद अपने विज्ञापनों के जरिये उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रही है. उन्होंने कहा था कि पतंजलि ने भ्रामक और गलत दावा कर यह बताने की कोशिश की है कि वही एकमात्र असली आयुर्वेदिक च्यवनप्राश बनाता है. उन्होंने कहा कि था कोर्ट ने दिसंबर, 2024 में समन जारी किया था, उसके बावजूद पतंजलि ने एक हफ्ते में 6182 भ्रामक विज्ञापन प्रसारित किए थे.

डाबर की याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के विज्ञापनों में दावा किया गया है कि उसका च्यवनप्राश 51 से अधिक जड़ी-बूटियों से बना है, जबकि हकीकत में इसमें सिर्फ 47 जड़ी-बूटियां हैं. डाबर ने याचिका में आरोप लगाया था कि पतंजलि के उत्पाद में पारा पाया गया है, जो बच्चों के लिए हानिकारक है.

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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