पाकिस्तान ने अपनी ही अवाम पर फाइटर जेट से क्यों बरसाया चीनी बम, 30 लोगों की मौत की वजह क्या है
Samachar Nama Hindi September 24, 2025 05:42 PM

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भले ही चीन की 10 दिन की यात्रा के दौरान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की तारीफों के पुल बांध रहे हों, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही है। 'द डिप्लोमैट' मैगजीन की एक रिपोर्ट के अनुसार, CPEC, जिसे पाकिस्तान में विकास की गंगा लाने का वादा किया गया था, अब दोनों देशों के लिए ही एक बड़ी समस्या बन चुका है। यह प्रोजेक्ट न केवल वित्तीय संकट में है, बल्कि सुरक्षा चुनौतियों ने भी इसे पूरी तरह से पटरी से उतार दिया है।

निवेशकों का भरोसा डगमगाया, चीन की बौखलाहट बढ़ी

पाकिस्तान की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था और खराब होती सुरक्षा व्यवस्था ने विदेशी निवेशकों का भरोसा तोड़ दिया है। चीन, जो इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा निवेशक है, अपने नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर बौखलाया हुआ है। गत 6 मार्च को चीन के राजदूत ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान की बलूचिस्तान में चीनी नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई थी। माना जा रहा है कि चीन के दबाव में ही पाकिस्तानी सेना अब अपने ही नागरिकों पर फाइटर जेट से हमले कर रही है। इन हमलों से स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ रहा है और यह एक दुष्चक्र बन गया है, जहां हिंसा और बढ़ रही है।

प्रोजेक्ट्स में देरी और बढ़ता कर्ज

पाकिस्तान के योजना आयोग के अनुसार, CPEC के 95 में से केवल 32 प्रोजेक्ट ही अब तक पूरे हो पाए हैं। इस देरी के कारण लागत में भारी वृद्धि हुई है, जिससे पाकिस्तान अब 9.5 अरब डॉलर के कर्ज के दलदल में फंस चुका है। लाहौर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री अली हसनैन ने बताया कि "CPEC की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट विदेशी मुद्रा पर निर्भर हैं," जो पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बोझ है।

इस बीच, चीन भी अपनी रणनीतिक चिंताओं को देखते हुए भारत से फिर से दोस्ती बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। चीन को उम्मीद थी कि ग्वादर बंदरगाह के जरिए वह किसी भी युद्धकालीन स्थिति में मलक्का जलडमरूमध्य में फंसने से बच जाएगा, लेकिन CPEC की सुरक्षा चुनौतियों ने इस योजना को भी कमजोर कर दिया है।

CPEC-2.0 और सुरक्षा का संकट

इन सब समस्याओं के बावजूद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान CPEC के दूसरे चरण (CPEC 2.0) को शुरू करने की घोषणा की। हालांकि, जानकारों का मानना है कि चीन इस पर आगे बढ़ने से पहले पाकिस्तान से सुरक्षा की गारंटी चाहता है।

पाकिस्तान ने CPEC की सुरक्षा के लिए 15,000 सैनिकों को तैनात किया है ताकि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे उग्रवादी समूहों के हमलों से चीनी कर्मियों को बचाया जा सके। इसके बावजूद, जुलाई में ग्वादर में हुए एक हमले में पांच चीनी इंजीनियर घायल हो गए थे, जिसने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

'निक्केई एशिया' की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा खतरों के कारण कई CPEC प्रोजेक्ट्स से लोगों को हटा लिया गया है। हाल ही में, चीन ने रेलवे को अपग्रेड करने के एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट से भी खुद को अलग कर लिया, जो इस बात का संकेत है कि चीन का भरोसा डगमगा रहा है। यह सब पाकिस्तान के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया है, क्योंकि CPEC न केवल एक आर्थिक गलियारा है, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों की नींव भी है।

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