फेफड़ों का कैंसर, जो तब होता है जब फेफड़ों में खतरनाक कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, एक गंभीर बीमारी है। इसका समय पर पता लगाना और इलाज करना बेहद महत्वपूर्ण है। इस बीमारी के इलाज के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन, इम्यूनोथेरेपी और लक्षित दवाइयों का उपयोग किया जाता है। फेफड़ों का कैंसर अक्सर श्वसन नली से शुरू होता है और धीरे-धीरे फेफड़ों के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। आइए जानते हैं फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती चेतावनी संकेतों के बारे में, जिन्हें पहचानकर इस जानलेवा बीमारी से लड़ा जा सकता है।
फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षण
1. लगातार खांसी: फेफड़ों के कैंसर के सबसे आम शुरुआती लक्षणों में से एक है लगातार खांसी आना। अगर किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी आ रही है और वह ठीक नहीं हो रही है, तो यह चिंता का विषय है और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
2. सीने में दर्द: अगर सीने में लगातार दर्द हो रहा है और सामान्य दवाओं से भी राहत नहीं मिल रही है, तो यह फेफड़ों के कैंसर का एक चेतावनी संकेत हो सकता है। यह दर्द अक्सर सांस लेने, हंसने या खांसने पर बढ़ जाता है।
3. खांसी में खून आना: खांसी के साथ खून आना या खून के धब्बे दिखाई देना एक गंभीर लक्षण है, जिसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह फेफड़ों के कैंसर का एक स्पष्ट संकेत हो सकता है।
4. सांस फूलना: हल्का-फुल्का काम करने, थोड़ी दूर चलने या बिना किसी शारीरिक श्रम के भी अगर सांस फूलने लगे, तो इसे बढ़ती उम्र का लक्षण मानकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह फेफड़ों की समस्याओं के कारण हो सकता है।
5. आवाज में बदलाव: अगर किसी व्यक्ति की आवाज में अचानक बदलाव आता है, जैसे आवाज का भारी होना, या उसमें हवा का दबाव महसूस होना, तो यह श्वसन नली में किसी रुकावट का संकेत हो सकता है, जो फेफड़ों के कैंसर के कारण हो सकता है।
6. निगलने में तकलीफ: फेफड़ों में ट्यूमर होने पर वह अन्नप्रणाली पर दबाव डाल सकता है, जिससे खाना निगलने में कठिनाई हो सकती है। इस लक्षण को भी गंभीरता से लेना चाहिए।
7. वजन कम होना और थकान: बिना किसी कारण अचानक वजन कम होना और हर समय थकान महसूस होना फेफड़ों के कैंसर का एक और महत्वपूर्ण लक्षण है। इसके अलावा, फेफड़ों का कैंसर होने पर चेहरे, गर्दन, बांहों और छाती के ऊपरी हिस्से पर सूजन भी दिख सकती है।
किन लोगों को फेफड़ों के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है?
फेफड़ों के कैंसर का खतरा कुछ विशेष समूहों में अधिक होता है:
धूम्रपान करने वाले लोग: जो लोग वर्तमान में धूम्रपान करते हैं या पहले करते थे, उन्हें फेफड़ों के कैंसर का सबसे अधिक खतरा होता है।
सेकंड हैंड स्मोक: जो लोग धूम्रपान नहीं करते, लेकिन लगातार धूम्रपान करने वाले लोगों के संपर्क में रहते हैं, उन्हें भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा होता है।
आनुवंशिक कारण: जिन लोगों के परिवार में किसी को फेफड़ों का कैंसर हुआ है, उन्हें भी यह बीमारी होने का जोखिम अधिक होता है।
प्रदूषित वातावरण: जो लोग अत्यधिक प्रदूषित वातावरण में रहते हैं, उन्हें भी फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना रहती है।
इन लक्षणों को पहचानना और समय पर डॉक्टर से जांच करवाना इस बीमारी से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है।