आजम खान की रिहाई: सपा नेताओं की दूरी ने छेड़ी सियासी चर्चा, अखिलेश के बयान पर मुस्कुराए
TV9 Bharatvarsh September 24, 2025 08:42 PM

समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा होकर मंगलवार को रामपुर पहुंचे. उनकी रिहाई की खुशी में सपा कार्यकर्ताओं ने लड्डू बांटे, लेकिन बड़े सपा नेताओं की अनुपस्थिति ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजम की रिहाई पर कोर्ट का आभार जताया और वादा किया कि सपा सरकार बनने पर उनके खिलाफ सभी मुकदमे वापस लिए जाएंगे. हालांकि, अखिलेश के इस बयान पर आजम की चुप्पी और मुस्कुराहट ने कई सवाल खड़े कर दिए.

आजम खान के जेल से बाहर आने पर मुरादाबाद की सपा सांसद रुचि वीरा और कुछ स्थानीय नेता ही उनके स्वागत के लिए पहुंचे. 2022 में उनकी रिहाई के दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव जेल के बाहर मौजूद थे, लेकिन इस बार किसी बड़े सपा नेता का न आना चर्चा का विषय बन गया. आजम ने अपने चिरपरिचित अंदाज में तंज कसते हुए कहा, बड़ा नेता होता तो कोई बड़ा नेता मिलने जरूर आता. उनकी इस टिप्पणी ने सपा संगठन के भीतर तनाव की अटकलों को हवा दी.

अखिलेश का बयान, आजम की चुप्पी

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ के हजरतगंज में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, हम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं कि आजम खान को न्याय मिला. बीजेपी ने उन पर झूठे मुकदमे लगाए. सपा सरकार बनने पर उनके सभी केस वापस लिए जाएंगे, जैसे योगी सरकार ने अपने नेताओं के मुकदमे वापस लिए. साथ ही, उन्होंने पत्रकारों पर लगे मुकदमों को भी वापस लेने की बात कही. लेकिन जब इस बयान के बारे में आजम से पूछा गया, तो वे सिर्फ मुस्कुराए और कुछ नहीं बोले. उनके इस रवैये ने सपा संगठन में सहजता की कमी के संकेत दिए.

सपा की रणनीति या मजबूरी?

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बीजेपी आजम खान के मुद्दे को धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल करना चाहती है. सपा इसे टालने के लिए सतर्क है. अखिलेश यादव का इटावा में भव्य मंदिर बनवाना और राममनोहर लोहिया के “हिंदू बनाम हिंदू” दर्शन को अपनाना सपा की उदार हिंदुत्व की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. यही कारण है कि सपा के बड़े नेताओं ने आजम की रिहाई पर दूरी बनाए रखी. एक सपा नेता ने कहा, आजम खां के मूड का पता नहीं. कब क्या बोल दें, इसलिए बिना सहमति के कोई वरिष्ठ नेता उनसे मिलने नहीं गया.

बसपा में जाने की अटकलों पर क्या बोले आजम

बसपा में शामिल होने की अटकलों पर आजम ने कहा, अभी कुछ कह नहीं सकता. यह वही लोग बता सकते हैं जो अटकलें लगा रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले पांच साल में जेल में रहने के कारण उनका किसी से संपर्क नहीं रहा. सेहत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, पहले इलाज कराएंगे, सेहत ठीक करेंगे.

बीजेपी पर भेदभाव का आरोप

अखिलेश ने बीजेपी पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि गोरखपुर में एक ही जाति को पोस्टिंग और ठेके दिए जा रहे हैं. साथ ही, उन्होंने कोर्ट से उम्मीद जताई कि वह जातीय भेदभाव खत्म करने का रास्ता दिखाएगा ताकि कोई मंदिर या घर को गंगा जल से न धोए. अखिलेश ने यह भी कहा कि सपा की गाड़ियों पर झंडा लगाने पर चालान काटा जा रहा है, जो सरकारी दबाव का सबूत है.

अखिलेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, न्याय में विश्वास को बनाए रखने के लिए कोर्ट का शुक्रिया. फर्जी मुकदमों की एक मियाद होती है. सामाजिक सौहार्द के प्रतीक लोगों को बीजेपी कभी पसंद नहीं करती.

सियासी कयासों का दौर

आजम खान की रिहाई और सपा नेताओं की दूरी ने सियासी कयासों को जन्म दिया है. क्या यह सपा की रणनीति है या संगठन में मतभेद? क्या आजम का अगला कदम सपा के लिए नई चुनौती बनेगा? ये सवाल आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की सियासत को और गर्म करने वाले हैं.

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