टायफाइड के इस वैरिएंट के आगे दवाएं भी नाकाम
टायफाइड साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया की वजह से फैलता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर दूषित भोजन और पानी में पाया जाता है। इस बैक्टीरिया की चपेट में आते ही आमतौर पर इंसान को बुखार, उल्टियां, पेट दर्द और छाती पर गुलाबी धब्बों की शिकायत होने लगती है। गंभीर मामलों में अगर संक्रमण आंतों या सिर तक पहुंच जाए तो मौत भी हो सकती है।
खसरा इतना घातक क्यों होता है?
हाल ही में बांग्लादेश के रिसर्चरों को टायफाइड का सेफ्ट्रिआसन प्रतिरोधी वैरिएंट मिला और इसी के बाद गंभीर चिंता शुरू हुई। सेफ्ट्रिआसन उन चुनिंदा दवाओं में से एक है जो अब भी टायफाइड के लिए असरदार मानी जाती है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि फौरन बचाव उपायों के बिना इस वैरिएंट का इलाज करना मुश्किल हो जाएगा। TCV भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाई है और बांग्लादेश में इसकी डोज गावी अलायंस की पहल के तहत वितरित की जा रही है। अनुमान है कि यह टीका इंफेक्शन को घटाता है और उसके प्रसार को भी धीमा करता है।
टीकाकरण अभियान उद्घाटन करते हुए बांग्लादेश की हेल्थ एडवाइजर नूरजहां बेगम ने कहा, यह शर्मनाक है कि बांग्लादेश के बच्चे अब भी टायफाइड से मर रहे हैं। स्वास्थ्य सलाहकार ने उम्मीद जताई कि जिस तरह बांग्लादेश ने डायरिया और रतौंधी पर काबू पाया, वैसी ही सफलता टायफाइड के खिलाफ भी हासिल की जा सकेगी।
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टीकाकरण अभियान के तहत 13 नवंबर तक स्कूलों, क्लीनिकों में और घर-घर जाकर वैक्सीन लगाई जाएगी। बांग्लादेश के अधिकारियों के मुताबिक, TCV का सेफ्टी रिकॉर्ड पाकिस्तान, नेपाल और भारत के मुंबई में जांचा जा चुका है। वैक्सीन से किसी किस्म का बड़ा साइड इफेक्ट सामने नहीं आया।