पाकिस्तान के मुरीदके इलाके में रविवार को तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच भीषण झड़पें हुईं. यह झड़प उस समय हुई जब TLP के सैकड़ों समर्थक गाज़ा के समर्थन में इस्लामाबाद की ओर मार्च कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों का लक्ष्य अमेरिकी दूतावास के बाहर प्रदर्शन करना था. पाकिस्तान का मुरीदके आतंकवादी हाफिज सईद का गढ़ माना जाता है. यहीं पर हाफिज का आतंकी मदरसा है.
सूत्रों के मुताबिक जैसे ही TLP का काफिला मुरीदके पहुंचा, पुलिस और रेंजर्स ने रास्ता रोकने की कोशिश की, जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए. भीड़ को रोकने के लिए सुरक्षाबलों ने लाठीचार्ज, आंसू गैस और फायरिंग का सहारा लिया. कई प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबरें हैं. प्रदर्शनकारियों ने भी जवाब में पत्थरबाजी और सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाया.
झड़पों के बाद प्रशासन ने इस्लामाबाद और लाहौर के बीच कई मार्ग बंद कर दिए हैं. राजधानी में अलर्ट जारी कर दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं बंद करने पर भी विचार चल रहा है. गाज़ा के समर्थन में यह मार्च अब पाकिस्तान में राजनीतिक और सुरक्षा संकट का नया केंद्र बन गया है.
लब्बैक ने लगाया धोखा देने का आरोपतहरीक-ए-लब्बैक ने सरकार और प्रशासन पर धोखा देने का आरोप लगाया है. टीएलपी का कहना है कि सरकार ने गाजा को लेकर परमिशन दी थी, लेकिन जब प्रदर्शनकारी फज्र की नमाज पढ़ने के लिए बैठे, तभी लाठीचार्ज हो गया.
तहरीक ए लब्बैक की वजह से 3 दिन तक इस्लामाबाद और लाहौर ठप है. कई शहरों में धारा-144 लागू है. तहरीक-ए-लब्बैक की स्थापना साल 2015 में हुई थी. यह एक कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी है.
इसके संस्थापक अमीर मौलाना खादिम हुसैन है. हुसैन सुन्नी संप्रदाय के नेता माने जाते हैं. इस संगठन ने 2023 में इमरान खान की सरकार पलटने में अहम भूमिका निभाई. इस कट्टरपंथी संगठन को शहबाज शरीफ की पार्टी का करीबी माना जाता है.