टीम इंडिया के पूर्व ओपनर गौतम गंभीर की पहचान हमेशा से ही एक आक्रामक, जुझारू और तीखे तेवर वाले खिलाड़ी के रूप में रही है. सिर्फ एक खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि एक इंसान के तौर पर भी वो उसी तरह के हैं. अक्सर अपने जोशीले बयानों से वो हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. अपने करियर के दौरान भी वो ऐसे ही थे, कॉमेंट्री के दौरान भी ऐसे ही बयान देते थे और अब टीम इंडिया के कोच के रूप में भी वो बदले नहीं हैं. इसलिए अगर गंभीर किसी खिलाड़ी के लिए अपनी जान देने की बात करें तो हैरानी नहीं होगी और उन्होंने ऐसा कहा भी था.
दिल्ली से आने वाले बाएं हाथ के आक्रामक भारतीय बल्लेबाज गौतम गंभीर 14 अक्टूबर को 44 साल के हो गए. दिल्ली के ओल्ड राजिंदर नगर में रहने वाले गौतम गंभीर ने रोशनआरा क्लब से अपने क्रिकेट खेलने की शुरुआत की थी और फिर जल्द ही दिल्ली की रणजी ट्रॉफी टीम में उन्होंने जगह बनाई थी. दोनों फॉर्मेट में दमदार प्रदर्शन के बाद 2003 में उन्होंने टीम इंडिया के लिए अपना वनडे और 2004 में टेस्ट डेब्यू किया था.
किसके लिए जान दे सकते हैं गंभीर?टीम इंडिया में आने के बाद से ही गौतम गंभीर का करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा और ऐसे वक्त में उन्हें एक ऐसे भरोसे की जरूरत थी, जो उनके आत्मविश्वास को वापस ले आए. ये उनके साथ 2008 में हुआ, जब ऑस्ट्रेलियाई टीम टेस्ट सीरीज के लिए भारत दौरे पर आई थी. ये वो वक्त था जब करीब ढाई साल से गंभीर ने टेस्ट में शतक नहीं लगाया था और कोई बड़ा स्कोर उनके बल्ले से नहीं निकल रहा था. इसके बावजूद उन्हें इस टेस्ट सीरीज के लिए जगह मिली और फिर उन्हें वो शब्द सुनने को मिले, जो उनकी वापसी में अहम साबित हुई. ये भरोसा उन्हें मिला था पूर्व कप्तान और दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले से.
2018 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास के बाद गौतम गंभीर ने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया था. गंभीर ने बताया था कि टेस्ट सीरीज से पहले वो वीरेंद्र सहवाग के साथ एक शाम को डिनर में मशगूल थे. गंभीर ने कहा, “उसी दौरान अनिल कुंबले वहां से गुजरे और उन्होंने कहा कि तुम दोनों पूरी सीरीज में ओपनिंग करोगे, चाहे लगातार 8 पारियों में तुम 0 पर आउट हो जाओ.” कुंबले के इस भरोसे ने उनका दिल जीत लिया. गंभीर ने आगे कहा, “मैंने पहले कभी ऐसी बातें नहीं सुनी थी. इसलिए अगर कभी मुझे किसी के लिए अपनी जान देनी हो तो वो अनिल कुंबले होंगे.”
एक भरोसे ने बदला करियरकुंबले से मिले भरोसे के बाद गंभीर ने उस सीरीज में एक शतक और एक दोहरा शतक लगाया था. यहां से उनका टेस्ट करियर जबरदस्त तरीके से बदला था. अगले डेढ़ साल के अंदर गंभीर ने टेस्ट क्रिकेट में 6 शतक और जमाए, जिसमें से एक नेपियर में न्यूजीलैंड के खिलाफ आया था. इस टेस्ट में गंभीर ने दूसरी पारी में 643 मिनट तक बैटिंग करते हुए 436 गेंदों का सामना किया और 137 रन बनाकर वो टेस्ट ड्रॉ करवाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. इसके बाद उन्होंने वेलिंगटन में भी शतक जमाया और वो टेस्ट भी ड्रॉ रहा था. इसकी मदद से टीम इंडिया ने वो सीरीज 1-0 से जीती थी.
गंभीर का इंटरनेशनल करियरगंभीर के करियर की बात करें तो 2003 में ODI से डेब्यू करने वाले दिग्गज बल्लेबाज ने 147 मैच में 39.68 की औसत से 5238 रन बनाए, जिसमें 11 शतक और 34 अर्धशतक शामिल थे. जाहिर तौर पर उनके करियर की बेस्ट पारी वर्ल्ड कप 2007 के फाइनल में आई थी, जहां उन्होंने 97 रन बनाए थे. वहीं 58 टेस्ट मैच में गंभीर ने 9 शतक और 22 अर्धशतकों की मदद से 4154 रन बनाए और औसत 41.95 का रहा. वहीं टीम इंडिया को पहला टी20 वर्ल्ड कप जिताने में बड़े किरदार साबित हुए गंभीर ने इस फॉर्मेट में 37 मैच खेलकर 932 रन बनाए, जिसमें फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ 75 रन की पारी समेत 7 अर्धशतक थे.