पाकिस्तान ने अब अपनी ही गलतियों को देखना शुरू कर दिया है. देश ने खुद माना है कि उसे अब साइंस और रिसर्च को बढ़ावा देने की जरूरत है. देश ने माना है कि इसको लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है. जबकि साइंस और रिसर्च तरक्की, इनोवेशन और दुनिया को समझने की बुनियाद है.
पाकिस्तानी मीडिया डॉन के मुताबिक, यह बात शनिवार को कराची स्थित पाकिस्तान आर्ट्स काउंसिल में आयोजित एक कार्यक्रम में कही गई, जहां लेखक और मेडिकल डॉक्टर सिकंदर मुगल की सिंधी भाषा में लिखी दो किताबों का विमोचन किया गया. यह कार्यक्रम लोक विरसो कमेटी के चेयरमैन अय्यूब शेख ने संचालित किया.
वैज्ञानिक रूची बढ़ाने की कोशिशमुगल की दो किताबें हैं, ज़हानत जी इर्तिका (बुद्धि का विकास) इर्तिका: ज़िंदगी अइन साइंस जो सफर (विकास: जीवन और विज्ञान की यात्रा)
इन किताबों का मकसद मुश्किल वैज्ञानिक विचारों को आसान और समझने लायक सिंधी भाषा में पेश करना. सिकंदर मुगल ने कहा कि विकसित देशों ने प्रगति इसलिए की क्योंकि उन्होंने विज्ञान और रिसर्च पर ध्यान दिया, जबकि जो देश वैज्ञानिक ज्ञान से दूर रहे, वो पिछड़ गए. उन्होंने कहा कि उन्होंने ये किताबें आसान सिंधी में इसलिए लिखीं ताकि प्रांत के छात्र इन विचारों को समझ सकें और अपने भविष्य को बेहतर बना सकें.
“वैज्ञानिक ज्ञान से बढ़ सकता है देश आगे”सिकंदर मुगल ने कहा, सिर्फ वैज्ञानिक ज्ञान के जरिए ही कोई देश आगे बढ़ सकता है. ज़ाबिस्ट यूनिवर्सिटी के डीन रियाज़ शेख ने कहा कि पाकिस्तान में लंबे समय से विज्ञान-विरोधी सोच को बढ़ावा दिया गया है, कई बार राज्य के समर्थन से भी. उन्होंने याद किया कि एक बार उन्होंने सिंध टेक्स्टबुक बोर्ड के पाठ्यक्रम में डार्विन के सिद्धांत शामिल किए थे, लेकिन जनता के विरोध के बाद उन्हें हटा दिया गया.
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच और जिज्ञासा को जानबूझकर दबाया गया है और इसी को लेकर मुगल की किताबें एक अहम योगदान हैं.
शिरीन नारेजो ने विज्ञान में सवाल पूछने की अहमियत पर जोर दिया और कहा कि ऐसा माहौल बनाना जरूरी है जहां अनुसंधान और खुली चर्चा को प्रोत्साहित किया जाए. भले ही विषय विवादास्पद क्यों न हों.
बुक में क्या है खासडॉ. सैफ़ ज़ुल्फ़िकार जूनैजो ने बताया कि ज़हानत जी इर्तिका ऑस्ट्रेलियाई न्यूरोसाइंटिस्ट मैक्स बेनेट की किताब A Brief History of Intelligence पर आधारित है. इसमें मानव बुद्धि के विकास में पांच बड़े बदलावों का जिक्र है —
1. पर्यावरण के साथ संवाद करने की क्षमता,
2. अनुभव से सीखने की योग्यता,
3. परिणाम की कल्पना करने की शक्ति,
4. दूसरों के विचारों और भावनाओं को समझना,
5. भाषा के जरिए संवाद और ज्ञान साझा करने की क्षमता.
उन्होंने सुपर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की अवधारणा पर भी बात की — जो एक ऐसी सैद्धांतिक AI है जो समस्या सुलझाने, रचनात्मकता और भावनात्मक समझ में इंसानों से आगे निकल सकती है. उन्होंने ब्रिटिश कंप्यूटर वैज्ञानिक जेफ्री हिंटन (जिन्हें Godfather of AI कहा जाता है) की चेतावनी का ज़िक्र किया, जिन्होंने कहा था कि अगर एआई पर नियंत्रण न रखा गया तो यह अनियंत्रित हो सकती है.
मेडिकल प्रोफेशनल ज़ुल्फ़िकार राहोजो ने कहा कि मुगल ने विकास और बुद्धि जैसे मुश्किल विषय को इसलिए चुना ताकि सिंधी बोलने वाले लोगों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया जा सके.
फेडरल उर्दू यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड टेक्नोलॉजी के माजिद इकबाल ने कहा कि सिकंदर मुगल ने अपनी जिंदगी लोगों को शिक्षित करने के लिए समर्पित कर दी है और वो अपनी रचनाओं के ज़रिए यह काम जारी रखे हुए हैं.