Rajasthan Police : पुलिस की वर्दी, लाल बत्ती की गाड़ी और 33 लाख की फिरौती, इस कहानी में एक जबरदस्त ट्विस्ट है
Newsindialive Hindi October 19, 2025 11:42 PM

News India Live, Digital Desk: सोचिए, आप अपनी दुकान पर बैठे हों और अचानक पुलिस की वर्दी में कुछ लोग लाल बत्ती लगी बोलेरो गाड़ी से उतरें और कहें कि 'तुम्हारे खिलाफ वारंट है, चलना पड़ेगा'। शायद कोई भी डर जाएगा। राजस्थान के अलवर में स्क्रैप (कबाड़) का काम करने वाले व्यापारी राधेश्याम शर्मा के साथ जब ऐसा हुआ, तो उन्हें भी लगा कि वह किसी बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं।लेकिन यह कोई असली पुलिस नहीं थी, बल्कि एक शातिर गैंग था, जिसे अब 'लाल बत्ती गैंग' के नाम से जाना जा रहा है।क्या थी गैंग की पूरी प्लानिंग?इस गैंग का काम करने का तरीका बिल्कुल फिल्मी था। वे एक बोलेरो गाड़ी पर लाल बत्ती लगाकर घूमते थे, ताकि किसी को उन पर शक न हो। उन्होंने राधेश्याम को उनकी दुकान से उठाया और यह कहकर गाड़ी में बिठा लिया कि वह किसी पुराने मामले में वांछित हैं। गाड़ी में बैठते ही 'असली खेल' शुरू हुआ।पहले तो उन्होंने व्यापारी को डराया-धमकाया और फिर मामले को 'रफा-दफा' करने के लिए 50 लाख रुपये की मांग कर डाली। काफी मोलभाव के बाद सौदा 33 लाख रुपये में तय हुआ।...और यहीं हो गई सबसे बड़ी गलतीव्यापारी को जयपुर की तरफ ले जाते हुए, गैंग ने उनसे कहा कि वह किसी को फोन करके 33 लाख रुपये का इंतजाम करने के लिए बोल दें। उन्हें क्या पता था कि यही एक फोन कॉल उनके पूरे खेल को खत्म कर देगा।राधेश्याम ने बड़ी होशियारी से अपने एक ऐसे रिश्तेदार को फोन लगाया जो खुद जयपुर क्राइम ब्रांच में असली पुलिसकर्मी थे। उन्होंने इशारों-इशारों में उन्हें पूरी बात समझा दी। जैसे ही फोन कटा, असली पुलिस हरकत में आ गई।पुलिस ने बिछाया जाल और...जयपुर क्राइम ब्रांच ने तुरंत अलवर पुलिस को अलर्ट किया। राधेश्याम के फोन की लोकेशन को ट्रैक किया गया। गैंग ने फिरौती की रकम लेने के लिए व्यापारी से कहकर एक ढाबे पर मंगवाई। पुलिस ने पहले से ही उस ढाबे पर जाल बिछा दिया था।जैसे ही गैंग के सदस्य पैसे लेने के लिए वहां पहुंचे, पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, हालांकि गैंग का मुख्य सरगना अभी भी फरार बताया जा रहा है।इस पूरी घटना ने यह तो साबित कर दिया कि कई बार अपराधी खुद ही ऐसी गलती कर बैठते हैं, जो उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा देती है। राधेश्याम की एक फोन कॉल की होशियारी ने न सिर्फ उनकी जान बचाई, बल्कि एक खतरनाक गैंग का भी पर्दाफाश कर दिया।
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