देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में गुजरात के कच्छ में अपने मेगा रिन्युएबल एनर्जी प्रोजेक्ट से सोलर एनर्जी प्रोडक्शन शुरू होने की उम्मीद है. यह प्रोजेक्ट सिंगापुर के साइज से लगभग तीन गुना बड़े एरिया में फैला हुआ है. यह प्रोजेक्ट रिलायंस इंडस्ट्रीज के क्लीन एनर्जी की ओर व्यापक प्रयास तथा 2035 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के प्रयास का हिस्सा है. दूसरी तिमाही के वित्तीय परिणामों की घोषणा के बाद निवेशकों के सामने प्रेजेंटेशन में रिलायंस ने कहा कि कच्छ के 5,50,000 एकड़ क्षेत्र में परियोजना का विकास सुचारू रूप से प्रगति कर रहा है. इंजीनियरिंग और व्यवहार्यता संबंधी अध्ययन पूरे हो चुके हैं और वर्तमान में स्थल पर भूमि विकास विभिन्न चरणों में चल रहा है.
कंपनी के प्रेजेंटेशन में कहा गया कि अगले वर्ष की पहली छमाही में खुद की आवश्यकताओं तथा ग्रीन फ्यूल प्रोडक्शन के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन शुरू करने की उम्मीद है. चार साल पहले, रिलायंस के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी ने न्यू एनर्जी कारोबार में 10 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की घोषणा की थी. 1990 के दशक में अंबानी द्वारा शुरू किए गए ग्रुप के विशाल पेट्रोलियम रिफाइनरी ऑपरेशन को देखते हुए, इसे एक उल्लेखनीय बदलाव के रूप में देखा गया था.
ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स की खासियतइसके साथ ही, रिलायंस ने ग्रुप के फाउंडर के नाम पर एक नए इंटीग्रेटिड रिन्यूएबल एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग सेंटर- धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स – पर काम शुरू कर दिया. इस साल कंपनी की एनुअल शेयरहोल्डर बैठक में, चेयरमैन के सबसे छोटे बेटे अनंत अंबानी ने इसके स्केल की एक झलक दिखाई. टेस्ला की गीगाफैक्ट्री से चार गुना बड़ा निर्माण क्षेत्र, 100 एफिल टावर बनाने लायक बड़ा स्टील का ऑर्डर और ‘चांद तक पहुंचने और वापस आने’ लायक केबलों का एक बड़ा जाल शामिल था. रिलायंस की क्लीन एनर्जी योजनाओं में सोलर पीवी, बैटरी स्टोरेज, ग्रीन हाइड्रोजन और टिकाऊ एविएशन फ्यूल शामिल हैं.
कंपनी 20 गीगावाट पीवी की सोलर पीवी निर्माण क्षमता और 100 गीगावाट घंटे की बैटरी गीगा-फैक्ट्री स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है. रिलायंस ने 2032 तक 30 लाख टन प्रति वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने का भी संकल्प लिया है, साथ ही इलेक्ट्रोलाइज़र, बैटरी स्टोरेज और सोलर पैनल जैसे उपकरणों का निर्माण भी खुद ही करेगी.
ऐसे होगा कामइंवेस्टर प्रेजेंटेशन में, कंपनी ने कहा कि वह अपने सोलर फोटोवोल्टिक गीगा-फ़ैक्ट्री का धीरे-धीरे विस्तार कर रही है. रिलायंस ने कहा कि 4 पीवी मॉड्यूल लाइनें पहले ही चालू हो चुकी हैं, और पहली सेल लाइन जल्द ही चालू होने की उम्मीद है. उन्होंने आगे कहा कि कंपनी अपनी लक्षित क्षमता हासिल करने और मॉड्यूलर तरीके से आगे विस्तार करने की राह पर है. पीवी सोलर मैन्युफैक्चरिंग चेन में पॉलीसिलिकॉन का प्रोडक्शन शामिल है. इसके बाद पिंड और वेफर तैयार होता है – पॉलीसिलिकॉन को पिघलाकर ठंडा करके पिंड (मोनोक्रिस्टलाइन सिलेंडर या मल्टीक्रिस्टलाइन ब्लॉक) बनाए जाते हैं. फिर इन पिंडों को पतले वेफर में काटा जाता है, जो सौर सेल का बेस बनते हैं.
इसके बाद सेल निर्माण की बारी आती है – सिलिकॉन वेफर्स को विभिन्न चरणों से गुजारा जाता है, जिनमें डोपिंग, सफाई और कोटिंग शामिल हैं. सेल को पैटर्न देने के लिए लेजर स्क्राइबिंग का उपयोग किया जाता है, और विद्युत कनेक्शन के लिए तांबे के रिबन लगाए जाते हैं. कई सेल को एक साथ जोड़ा जाता है और कांच और इनकैप्सुलेंट की शीट के बीच लैमिनेट करके एक वाटरप्रूफ मॉड्यूल या पैनल बनाया जाता है. फिर इन मॉड्यूल्स को रैकिंग सिस्टम के साथ एरे में जोड़ा जाता है. जो उन्हें सूर्य के प्रकाश वाले क्षेत्रों में लगाने के लिए सहायक स्ट्रक्चर हैं. सूर्य का प्रकाश केवल दिन के समय ही उपलब्ध होता है, इसलिए रिलायंस बैटरी वैल्यू चेन के लिए चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने हेतु गीगाफैक्ट्री भी स्थापित कर रही है. कंपनी ने कहा कि बैटरी एनर्जी स्टोरेज गीगाफैक्ट्री का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है.