भारत में खाने-पीने और होटल-रेस्टोरेंट से जुड़े कारोबार में निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है. आने वाले कुछ महीनों में करीब एक दर्जन से अधिक खाद्य एवं पेय पदार्थ (F&B) और हॉस्पिटैलिटी कंपनियां ₹9,000 करोड़ के आईपीओ (Initial Public Offerings) लाने की तैयारी में हैं. बताया जा रहा है कि इसका मुख्य कारण है देश में बढ़ती उपभोग की मांग और इस सेक्टर में तेज़ी से होते बदलाव.
मिल्की मिस्ट और प्रेस्टीज हॉस्पिटेलिटी सबसे आगेइस लहर में सबसे बड़ा IPO मिल्की मिस्ट डेयरी फ़ूड लाने जा रही है, जो दूध, दही और आइसक्रीम जैसे उत्पादों के लिए जानी जाती है. कंपनी ₹2,035 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है, जिसमें ₹1,785 करोड़ का नया शेयर निर्गम और ₹250 करोड़ का बिक्री प्रस्ताव शामिल है.
इसी तरह, प्रीमियम होटलों की चेन चलाने वाली प्रेस्टीज हॉस्पिटैलिटी वेंचर्स भी ₹2,700 करोड़ का बड़ा IPO लाने जा रही है. इसमें ₹1,700 करोड़ नए शेयर और ₹1,000 करोड़ के ऑफर फॉर सेल शामिल हैं. दोनों कंपनियां निवेशकों को ऐसे कारोबार में भागीदारी का मौका दे रही हैं, जहां लगातार मांग बनी रहती है और मुनाफा भी अच्छा मिलता है.
छोटी कंपनियां भी मैदान मेंबड़ी कंपनियों के अलावा कई मंझोली और छोटी कंपनियां भी फंड जुटाने की तैयारी में हैं. इनमें लग्जरी कैटरिंग में नाम कमा चुकी फूडलिंक लगभग ₹160 करोड़ का IPO लाएगी. वहीं, क्लाउड किचन ब्रांड जैसे ईटफिट, केकजोन और फ्रोजन बॉटल चलाने वाली क्योरफूड्स इंडिया करीब ₹800 करोड़ जुटाने की योजना में है. इसके साथ ही, पैकेज्ड सीफूड बिज़नेस में काम कर रही इंफिफ्रेश (पहले कैप्टन फ्रेश) भी ₹1,700 करोड़ का IPO लाएगी.
हल्दीराम और क्रेमिका भी ला सकते हैं IPOखाने-पीने के क्षेत्र की दो जानी-पहचानी कंपनियां, हल्दीराम स्नैक्स फूड्स और क्रेमिका फूड्स भी IPO की दौड़ में शामिल हो सकती हैं. हल्दीराम जहां ₹5,000 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है, वहीं क्रेमिका ₹800 से ₹1,000 करोड़ के बीच धनराशि जुटाने की तैयारी में है. इसके अलावा, एमटीआर फूड्स की मूल कंपनी ओर्कला इंडिया भी ₹5,000 करोड़ का IPO लाने की योजना में है.
IPO लाने का समय क्यों है सही?एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस समय शेयर बाज़ार में अच्छा माहौल है. निवेशकों को उन कंपनियों में दिलचस्पी है जो लगातार कमाई कर रही हैं और आगे बढ़ने की क्षमता रखती हैं. F&B क्षेत्र की कंपनियां अब टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही हैं, अपना वितरण नेटवर्क बढ़ा रही हैं और नए-नए ब्रांड्स के जरिए उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रही हैं.