दीपावली: भारतीय लोक कलाओं में रंगों और प्रकाश का उत्सव
Stressbuster Hindi October 20, 2025 11:42 PM
दीपावली का उल्लास और उसकी तैयारी

Diwali in Folk News (image from Social Media)

Diwali in Folk News

जैसे ही दीपावली का त्योहार नजदीक आता है, हर किसी के मन में उत्साह और खुशी का संचार होता है। यह पर्व केवल अंधकार को दूर करने का ही नहीं, बल्कि आंतरिक नकारात्मकता को भी समाप्त करने का अवसर है। हर परिवार और व्यक्ति अपने घर और कार्यस्थल को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करता है, ताकि लक्ष्मी माता का स्वागत किया जा सके। यह सफाई केवल भौतिक चीजों की नहीं, बल्कि मानसिकता को भी सकारात्मकता से भरने की प्रक्रिया है।


भारतीय संस्कृति में रंगों का महत्व

हमारे देश में रंगों को विशेष महत्व दिया जाता है। होली के रंगों के साथ-साथ दीपावली भी प्रकाश और रंगों का पर्व है। विभिन्न क्षेत्रों की लोक कलाओं में दीपावली के उल्लास को दर्शाने के लिए चटख रंगों का उपयोग किया जाता है। घरों के प्रवेश द्वार पर रंगोली, अल्पना, और मांडना बनाना भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो सकारात्मकता और समृद्धि का प्रतीक है।


मधुबनी कला में दीपावली का चित्रण

मधुबनी कला में दीपावली का चित्रण पारंपरिक तत्वों और प्रतीकों के माध्यम से किया जाता है। इसमें देवी लक्ष्मी और अन्य धार्मिक प्रतीकों का समावेश होता है। इस कला में दीयों को प्रमुखता से दर्शाया जाता है, जो अच्छाई की जीत का प्रतीक है।


तंजावुर कला का दीपावली चित्रण


तंजावुर कला में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के चित्रण का विशेष महत्व है। इन चित्रों में सोने की पन्नी का उपयोग किया जाता है, जिससे चित्रों में एक भव्यता आती है।


वरली कला में दीपावली का उत्सव


वरली कला में दीपावली का चित्रण ज्यामितीय आकृतियों के माध्यम से किया जाता है। यह कला उत्सव के उल्लास को दर्शाती है और पारंपरिक जीवनशैली को भी शामिल करती है।


मंडला और पिछवाई कला का दीपावली चित्रण

मंडला कला में दीपावली का चित्रण ज्यामितीय आकृतियों और रंगोली के पैटर्न के माध्यम से किया जाता है। वहीं, पिछवाई कला में भगवान कृष्ण की लीलाओं को दर्शाया जाता है, जो दीपावली के चौथे दिन मनाए जाने वाले अन्नकूट महोत्सव से संबंधित है।


उत्तर प्रदेश और असम की दीपावली कला

उत्तर प्रदेश में दीपावली का चित्रण रंगोली और धार्मिक प्रतीकों के माध्यम से किया जाता है। वहीं, असम की पारंपरिक कला में मिट्टी के दीपक और केले के पत्तों का उपयोग किया जाता है।


कालीघाट और बुंदेलखंड की लोक परंपराएं

कालीघाट चित्रकला देवी लक्ष्मी और काली की पूजा पर केंद्रित होती है, जबकि बुंदेलखंड में सुरेती बनाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है।


दीपावली का समृद्धि और उल्लास का पर्व

इस प्रकार, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोक कलाओं के माध्यम से दीपावली का उत्सव अपने चटख रंगों में मनाया जाता है, जो समृद्धि, उल्लास और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।


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