Jharkhand Politics : घाटशिला का त्रिकोणीय रण, पार्टियों ने बिछाई बिसात, समझिए किसका क्या है गेम प्लान

News India Live, Digital Desk: झारखंड का घाटशिला विधानसभा क्षेत्र इन दिनों राज्य की राजनीति का नया हॉटस्पॉट बन गया है। JMM विधायक रामदास सोरेन के सांसद बनने के बाद यहां होने वाले उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जो मुकाबला पहले सीधा JMM और BJP के बीच माना जा रहा था, उसमें जयराम महतो की JLKM की एंट्री ने इसे एक बेहद दिलचस्प त्रिकोणीय मुकाबले में बदल दिया है। तीनों ही प्रमुख दल अपनी-अपनी रणनीतिक बिसात बिछाने में जुट गए हैं।JMM: साख और सहानुभूति का दांवघाटशिला JMM का परंपरागत किला रहा है। इस किले को बचाने के लिए पार्टी 'साख और सहानुभूति' के दोहरे फॉर्मूले पर काम कर रही है।गेम प्लान: पार्टी की पहली कोशिश है कि पूर्व विधायक रामदास सोरेन के परिवार के ही किसी सदस्य, संभवतः उनकी पत्नी, को टिकट दिया जाए। इससे उन्हें सहानुभूति का सीधा लाभ मिलेगा और पार्टी के वफादार वोटर भी एकजुट रहेंगे। JMM को पता है कि उनकी मुख्य लड़ाई JLKM से है, जो उनके ही वोट बैंक में सेंध लगाएगी।BJP: 'वोट बंटवारे' पर टिकी हैं उम्मीदेंविपक्षी दल BJP इस उपचुनाव को JMM के गढ़ में सेंध लगाने का सुनहरा मौका मान रहा है। उसकी पूरी रणनीति 'वोटों के बंटवारे' पर टिकी है।गेम प्लान: बीजेपी को उम्मीद है कि जयराम महतो की JLKM मुख्य रूप से JMM के आदिवासी और मूलवासी वोटों को काटेगी। अगर ऐसा होता है, तो वोटों के इस बिखराव का सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है। पार्टी किसी अनुभवी और मजबूत स्थानीय चेहरे जैसे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचू पर दांव लगा सकती है ताकि गैर-आदिवासी वोटों को एकजुट रखा जा सके।JLKM: 'नया विकल्प' बनकर बिगाड़ रही है खेलझारखंड की राजनीति में तेजी से उभरी जयराम महतो की 'झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति' (JLKM) इस उपचुनाव में 'गेम चेंजर' या 'किंगमेकर' की भूमिका में है।गेम प्लान: JLKM खतियान आधारित स्थानीय नीति, भाषा और युवाओं के मुद्दों को जोर-शोर से उठा रही है। उन्होंने आदित्य किस्कू को उम्मीदवार बनाकर साफ कर दिया है कि वे traditional राजनीति से हटकर एक 'नया विकल्प' देने आए हैं। उनका टारगेट वो युवा वोटर हैं जो JMM और BJP दोनों से निराश हैं। JLKM जितना मजबूत प्रदर्शन करेगी, JMM की राह उतनी ही मुश्किल होती जाएगी।कुल मिलाकर, घाटशिला का यह उपचुनाव सिर्फ एक सीट का चुनाव नहीं है, बल्कि यह झारखंड की भविष्य की राजनीति की दिशा भी तय कर सकता है। JMM की प्रतिष्ठा, BJP की उम्मीदें और JLKM की बढ़ती ताकत, तीनों ही यहां दांव पर लगी हैं।