भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025और आठ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापनों पर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि कोई भी राजनीतिक दल, उम्मीदवार, संगठन या व्यक्ति मतदान की पूर्व संध्या और मतदान के दिन किसी भी प्रकार का राजनीतिक विज्ञापन प्रिंट मीडिया में तब तक प्रकाशित नहीं कर सकता, जब तक कि वह विज्ञापन राज्य या जिला स्तर की मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) से पूर्व-प्रमाणित न हो।
बिहार चुनाव: पहले चरण की 121 सीट पर 1,314 उम्मीदवार मैदान में, आखिरी दिन तक 61 लोगोंं ने वापस लिया नामांकनबिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे- पहले चरण का मतदान 6 नवंबर (गुरुवार) और दूसरे चरण का 11 नवंबर (मंगलवार) को होगा। इन तिथियों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने प्रिंट विज्ञापनों पर प्रतिबंध पहले चरण के लिए 5 और 6 नवंबर तथा दूसरे चरण के लिए 10 और 11 नवंबर को लागू रखने का निर्णय लिया है।
पूर्व-प्रमाणन अनिवार्य, आवेदन की अंतिम तिथि विज्ञापन से दो दिन पहलेनिर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जो व्यक्ति या संगठन इन तिथियों के दौरान प्रिंट विज्ञापन प्रकाशित कराना चाहते हैं, उन्हें संबंधित एमसीएमसी से पूर्व-प्रमाणन लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए आवेदन उस दिन से कम से कम दो दिन पहले जमा करना होगा, जिस दिन विज्ञापन छपवाना है। उदाहरण के लिए, यदि कोई विज्ञापन 6 नवंबर को प्रकाशित करना है, तो 4 नवंबर तक पूर्व-प्रमाणन के लिए आवेदन करना आवश्यक है।
राज्य और जिला स्तर पर एमसीएमसी समितियों को सक्रिय कर दिया गया है। ये समितियां प्राप्त विज्ञापनों की सामग्री की शीघ्रता से जांच करेंगी और समय पर निर्णय सुनिश्चित करेंगी ताकि प्रक्रिया में कोई अनावश्यक देरी न हो।
बिहार चुनावः पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने काराकाट से निर्दलीय नामांकन किया, कैमरे के सामने फफक पड़ीं नियम उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई, मतदाताओं से सतर्क रहने की अपीलनिर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से इन नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भी इन निर्देशों को लागू कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही, मतदाताओं से अनुरोध किया गया है कि वे सतर्क रहें और अगर उन्हें किसी भी प्रकार का भ्रामक, आपत्तिजनक या अनधिकृत प्रचार नजर आए, तो उसकी सूचना तुरंत निर्वाचन आयोग को दें।
यह कदम बिहार में स्वच्छ, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
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