मुंबई, 22 अक्टूबर। हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता देवेन वर्मा ने अपनी अदाकारी से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। उनकी कॉमेडी का जादू आज भी लोगों को हंसाने में सक्षम है।
उनकी फिल्मी यात्रा प्रेरणादायक और उतार-चढ़ाव से भरी रही। देवेन ने अपने करियर की शुरुआत बेहद कम फीस से की थी। उन्हें अपनी पहली फिल्म 'धर्मपुत्र' के लिए केवल 600 रुपये मिले थे, जो उनके लंबे और सफल करियर की शुरुआत बनी।
देवेन वर्मा का जन्म 23 अक्टूबर 1937 को गुजरात के कच्छ में हुआ, लेकिन उनका परिवार बाद में पुणे चला गया। उन्होंने नौरोजी वाडिया कॉलेज से राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में ऑनर्स किया। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव अभिनय की ओर बढ़ा और वे स्टेज शोज में भाग लेने लगे।
एक बार, जब वे नार्थ इंडिया पंजाबी एसोसिएशन के स्टेज शो में प्रदर्शन कर रहे थे, तब बी. आर. चोपड़ा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपनी फिल्म 'धर्मपुत्र' में काम करने का अवसर दिया।
हालांकि 'धर्मपुत्र' बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन यह देवेन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने फिल्म 'गुमराह' में नौकर का किरदार निभाया, जिसने उन्हें दर्शकों और निर्माताओं के बीच लोकप्रिय बना दिया।
1970 के दशक में, देवेन वर्मा ने कॉमेडी में अपनी पहचान बनाई। उनकी हिट फिल्मों में 'चोरी मेरा काम', 'चोर के घर चोर', 'अंगूर', 'गोलमाल', 'खट्टा मीठा', और 'रंग बिरंगी' शामिल हैं। उन्होंने कभी भी अपनी कॉमेडी में अश्लीलता का सहारा नहीं लिया।
देवेन वर्मा को उनकी प्रतिभा के लिए तीन बार फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्होंने 'चोरी मेरा काम', 'चोर के घर चोर', और 'अंगूर' जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी से यह सम्मान प्राप्त किया।
उनकी निजी जिंदगी भी दिलचस्प थी। उन्होंने मशहूर अभिनेता अशोक कुमार की बेटी रूपा गांगुली से विवाह किया। यह शादी उनकी पहली मुलाकात के कुछ साल बाद हुई।
अपने करियर में देवेन वर्मा ने लगभग 149 फिल्मों में काम किया और कुछ फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया। 2 दिसंबर 2014 को पुणे में उनका निधन हो गया। उनकी यादें और हंसी आज भी बॉलीवुड में जीवित हैं।