आतंकियों की पनाहगाह माने जाने वाला पाकिस्तान, टीटीपी की धमकियों से डरा हुआ है। हाल ही में, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने देश की सेना को खुली चुनौती देते हुए कई वीडियो जारी किए। इनमें से एक वीडियो में, टीटीपी कमांडर काज़िम ने सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को सीधी चुनौती देते हुए कहा, "अगर हिम्मत है, तो युद्ध के मैदान में आओ और हमसे लड़ो।" उसने यह भी कहा, "अगर तुम मर्द हो, तो हमारा सामना करो। अगर तुमने अपनी माँ का दूध पिया है, तो हमसे लड़ो।" इस बयान ने पूरे पाकिस्तान में हलचल मचा दी। यह पहली बार नहीं है जब टीटीपी ने ऐसी धमकियाँ दी हों, लेकिन इस बार उसका रुख और भी आक्रामक दिखाई दे रहा है। वीडियो जारी होने के बाद, पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने काज़िम की गिरफ्तारी में मदद करने वाले को 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का इनाम देने की घोषणा की।
8 अक्टूबर, 2025 को, टीटीपी ने खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में पाकिस्तानी सेना के एक काफिले पर घात लगाकर हमला किया। टीटीपी ने 22 सैनिकों की हत्या और कई सैन्य हथियार व वाहन ज़ब्त करने का दावा किया है। हालाँकि, पाकिस्तानी सेना ने आधिकारिक तौर पर केवल 11 मौतों की पुष्टि की है। इस हमले से यह स्पष्ट हो गया है कि टीटीपी अब पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में पहले से कहीं अधिक संगठित है।
युद्धविराम के प्रयास और उनकी विफलता
हाल के महीनों में, कतर और तुर्की के माध्यम से पाकिस्तान और अफ़ग़ान तालिबान के बीच युद्धविराम कराने के प्रयास किए गए, लेकिन यह पहल ज़्यादा समय तक नहीं चली। पाकिस्तान ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक अफ़ग़ानिस्तान की धरती पर टीटीपी जैसे समूहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक कोई भी समझौता निरर्थक होगा। काबुल सरकार की चुप्पी ने पाकिस्तान की स्थिति को और जटिल बना दिया है।
नए आतंकवादी समूहों की वापसी का खतरा
टीटीपी की बढ़ती गतिविधियों ने पाकिस्तान के भीतर अन्य चरमपंथी संगठनों को भी बढ़ावा दिया है। लश्कर-ए-झांगवी (एलईजे), इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूह अब अपनी पुरानी गतिविधियों को फिर से शुरू कर रहे हैं। लश्कर-ए-झांगवी अल्पसंख्यकों पर हमलों के लिए कुख्यात है, जबकि आईएसकेपी पहले भी टीटीपी के असंतुष्ट लड़ाकों को आकर्षित कर चुका है। यह बढ़ती गतिविधि दर्शाती है कि पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा एक बार फिर नाज़ुक मोड़ पर पहुँच गई है। हालाँकि सेना प्रमुख असीम मुनीर अपने सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं, लेकिन हाल ही में हुए टीटीपी हमलों ने उनकी रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।