हाल ही में एक फोटोग्राफी कंपनी की शिकायत के बाद पुलिस ने दहेज से संबंधित विवाद की जांच शुरू कर दी है। सोशल मीडिया पर दहेज की असली रकम और चेक की जानकारी वायरल होने के बाद मामले ने स्थानीय लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
जानकारी के अनुसार, फोटोग्राफी कंपनी ने पुलिस को तहरीर दी कि शादी के दौरान उनके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के लिए दहेज का भुगतान सही ढंग से नहीं किया गया और विवादास्पद चेक भुगतान को लेकर गलत जानकारी सोशल मीडिया पर फैल रही है। कंपनी ने शिकायत में कहा कि वायरल पोस्ट से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है और मामले की जांच आवश्यक है।
पुलिस ने बताया कि “हमें फोटोग्राफी कंपनी की शिकायत प्राप्त हुई है। सोशल मीडिया पर दहेज और चेक की असली रकम को लेकर जो पोस्ट वायरल हो रही हैं, उनकी जांच शुरू कर दी गई है। मामले की गहनता से जांच की जा रही है और जिम्मेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में दावा किया गया था कि दहेज की रकम और चेक असली नहीं हैं, जिसके चलते विवाद और गलतफहमी पैदा हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी वायरल होने से दोनों पक्षों की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान हो सकता है और समाज में अफवाहें फैल सकती हैं।
फोटोग्राफी कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि “हमने शादी के दौरान पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ सेवाएं प्रदान की हैं। सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलने से हमारी प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है। पुलिस से उम्मीद है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी।”
पुलिस ने स्थानीय नागरिकों और सोशल मीडिया यूज़र्स से भी अपील की है कि वे बिना पुष्टि की गई जानकारी के आधार पर किसी भी पोस्ट को साझा न करें। अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया पर गलत या अपुष्ट जानकारी फैलाना कानूनी दृष्टि से गंभीर अपराध हो सकता है।
वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामले केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं होते, बल्कि समाज में दहेज और विवाह संबंधी मामलों पर भी गलत संदेश पहुंचाते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि विवादों को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक करने के बजाय कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि मामले की जांच में सभी दस्तावेज, चेक और भुगतान रसीदों की पड़ताल की जाएगी। इसके साथ ही सोशल मीडिया पोस्ट के स्रोत और वायरल सामग्री की डिजिटल फॉरेंसिक जांच भी की जा रही है।
यह मामला यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया पर वायरल जानकारी के कारण व्यक्तिगत विवाद और प्रतिष्ठा संबंधी मामलों में तेजी से समस्या पैदा हो सकती है। पुलिस और न्यायपालिका मिलकर ही ऐसे मामलों में निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित कर सकते हैं।