हिंदुस्तान जिंक की 'सखी' पहल ने महिलाओं को दी 125.71 करोड़ की आर्थिक ताकत, 25 हजार से अधिक महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर
Indias News Hindi October 26, 2025 05:42 AM


उदयपुर, 24 अक्टूबर। विश्व की अग्रणी जिंक उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक ने अपनी सीएसआर पहल ‘सखी’ (SAKHI) के तहत महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस पहल के माध्यम से राजस्थान और उत्तराखंड के 2,167 स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में शामिल 25,455 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को अब तक ₹125.71 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया गया है।

यह राशि सखी फेडरेशन के जरिए महिलाओं को प्रदान की गई, जिससे उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत आधार मिला है। महिलाएं इस पूंजी का उपयोग आय अर्जक गतिविधियों, छोटे व्यवसायों के विस्तार, बच्चों की शिक्षा, और घर के बुनियादी ढांचे के सुधार में कर रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब उन्हें किसी अनौपचारिक या महंगे स्रोत से कर्ज लेने की आवश्यकता नहीं है।

महिलाओं में नेतृत्व और आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई राह
हिंदुस्तान जिंक का ‘सखी’ कार्यक्रम महिलाओं में आर्थिक आत्मनिर्भरता, सामाजिक सशक्तिकरण और नेतृत्व को प्रोत्साहित करता है। मंजरी फाउंडेशन और चैतन्य ट्रस्ट के सहयोग से लागू इस कार्यक्रम के तहत स्वयं सहायता समूहों का गठन और सुदृढ़ीकरण किया गया है, जो महिलाओं को बैंकिंग, बचत और ऋण सुविधाओं से जोड़ता है।

फरजाना और इंद्रा मीणा जैसी कहानियां बनीं प्रेरणा स्रोत
‘सखी’ पहल की सफलता की जीवंत मिसाल फरजाना हैं, जिन्होंने कम उम्र में पति को खोने के बाद आचार निर्माण इकाई में प्रशिक्षण लिया। आज वे अपने परिवार की आर्थिक रीढ़ हैं और उनके बच्चे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बिज़नेस वर्ल्ड द्वारा सोशल इम्पैक्ट लीडर अवार्ड से सम्मानित उनकी कहानी इस पहल की सफलता का सशक्त उदाहरण है।

इसी तरह, इंद्रा मीणा, जो जावर की नमकीन यूनिट में काम करती हैं, अपनी मेहनत और लगन से अब सखी उत्पादन समिति के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं। वह अब निर्णय लेने और अन्य महिलाओं को मार्गदर्शन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता ‘सखी’ मॉडल
‘सखी’ और सूक्ष्म उद्यम कार्यक्रमों के जरिए हिंदुस्तान जिंक समावेशी विकास का एक सशक्त मॉडल तैयार कर रहा है। कंपनी के 14 सूक्ष्म उत्पादन केंद्रों और 208 स्टोर्स से अब तक ₹2.31 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है। ‘दाइची’ (खाद्य पदार्थ) और ‘उपाया’ (वस्त्र) जैसे ब्रांड ग्रामीण बाजारों को नई पहचान दे रहे हैं।

यह पहल संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (UN SDGs) — लैंगिक समानता, सम्मानजनक कार्य, आर्थिक विकास और असमानताओं को घटाने — के अनुरूप ग्रामीण राजस्थान में परिवर्तन की नई कहानी लिख रही है।

हिंदुस्तान जिंक की सामाजिक प्रतिबद्धता का विस्तार
‘सखी’ के अलावा, हिंदुस्तान जिंक शिक्षा, बाल कल्याण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल संरक्षण, खेल, संस्कृति, पर्यावरण और पशु कल्याण जैसे अनेक क्षेत्रों में भी सक्रिय है। अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के अंतर्गत चल रही ‘नंद घर’ पहल प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और पोषण में सुधार कर रही है।
कंपनी वर्तमान में 2,350 से अधिक गांवों में 23 लाख से अधिक लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है।

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