नवंबर 2025 में सोम प्रदोष व्रत कब है? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की सरल विधि
Newsindialive Hindi October 26, 2025 12:42 PM

News India Live, Digital Desk: भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। जब यह शुभ तिथि सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व और भी कई गुना बढ़ जाता है और इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अत्यंत विशेष माना गया है।नवंबर 2025 में कार्तिक महीने का दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार, 3 नवंबर को रखा जाएगा। सोमवार का दिन होने की वजह से यह सोम प्रदोष व्रत होगा, जो भक्तों के लिए बेहद फलदायी माना जाता है।सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्तकार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 03 नवंबर 2025, सुबह 05:07 बजे से।कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त: 04 नवंबर 2025, सुबह 02:05 बजे तक।पूजा का शुभ मुहूर्त: 3 नवंबर की शाम 05:34 बजे से रात 08:11 बजे तक रहेगा।क्यों खास है सोम प्रदोष व्रत?मान्यता है कि प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के समय में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर आनंदित होकर नृत्य करते हैं। इस समय की गई पूजा-अर्चना से वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। सोम प्रदोष का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है, मानसिक शांति मिलती है और हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो या जिन्हें संतान सुख की चाह हो, उनके लिए भी यह व्रत बहुत शुभ फलदायी माना जाता है।पूजा की सरल विधिसुबह की तैयारी: प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।दिनभर उपवास: पूरे दिन निराहार या फलाहार व्रत रखें। मन में "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें।शाम की पूजा: शाम को पूजा के शुभ मुहूर्त में, स्नान करके एक बार फिर स्वच्छ वस्त्र पहनें।शिव परिवार की पूजा: एक साफ चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही और शहद से अभिषेक करें।प्रिय वस्तुएं अर्पित करें: भगवान शिव को उनके प्रिय बेलपत्र, भांग, धतूरा और शमी के पत्ते अर्पित करें। माता पार्वती को सिंदूर और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं।आरती और कथा: धूप-दीप जलाकर भगवान का ध्यान करें, शिव चालीसा का पाठ करें और सोम प्रदोष व्रत की कथा सुनें। अंत में शिव जी की आरती करके पूजा संपन्न करें।पारण: व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद किया जाता है।इस आसान विधि से पूजा करके आप भी सोम प्रदोष व्रत का पूरा फल प्राप्त कर सकते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा पा सकते हैं
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