खाद बनाने के लिए जोत दी प्याज की फसल! आंसू भी नहीं बचे महाराष्ट्र के किसानों के पास, गांवों में दिवाली का दीया भी बुझा

Maharashtra farmers protest reason : एक तरफ जहां पूरा देश दिवाली की रोशनी से जगमगा रहा था,वहीं महाराष्ट्र के गांवों में इस बार त्योहार का दीया भी ठीक से नहीं जल पाया। अन्नदाता कहलाने वाला किसान आज खुद एक-एक दाने के लिए मोहताज है। लगातार हुई बारिश ने पहले तो उनकी खड़ी फसलें बर्बाद कर दीं,और जो कुछ बचा,बाज़ार में उसकी कीमत इतनी गिरी कि उसे बेचने से ज़्यादा सस्ता तो खेत में ही नष्ट कर देना लग रहा है।यह कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं,बल्कि महाराष्ट्र के लाखों किसानों की है,जिनकी कमर प्याज,टमाटर,सोयाबीन और अनार जैसी फसलों ने पूरी तरह तोड़ दी है।7.5क्विंटल प्याज बेचा,हाथ में आए सिर्फ₹664!पुरंदर के किसान सुदाम इंगले की कहानी सुनकर किसी का भी दिल दहल जाएगा। उन्होंने पूरे साल मेहनत करके प्याज की खेती की,जिस पर उनका करीब₹66,000का खर्च आया। जब वे अपनी7.5क्विंटल प्याज की फसल लेकर मंडी पहुंचे,तो बदले में उन्हें मिलेसिर्फ₹664!दुखी सुदाम कहते हैं, "अब तो इसे खेत में जोतकर खाद बना देना ही बेहतर है। मंडी तक लाने का भाड़ा भी जेब से जा रहा है।"एशिया की सबसे बड़ी मंडी में पसरा सन्नाटाएशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी,लासलगांव में भी हालात कुछ ठीक नहीं हैं। यहां प्याज₹5से₹14प्रति किलोके भाव पर बिक रहा है। बंपर पैदावार और फिर लगातार बारिश ने प्याज की क्वालिटी इतनी खराब कर दी है कि उसका कोई खरीदार नहीं मिल रहा। अधिकारियों के मुताबिक,अकेले नासिक में80%प्याज की फसल बर्बादहो चुकी है।शहरों में दिवाली,गांवों में दीवालीयह इस साल की सबसे कड़वी सच्चाई है। जहां शहरों में लोग जमकर खरीदारी कर रहे थे,वहीं गांवों के बाज़ार पूरी तरह सूने पड़े थे। किसानों के पास जब पैसा ही नहीं है,तो वे खरीदारी क्या करेंगे?एक व्यापारी ने कहा, "इस बार दिवाली सिर्फ शहरों में आई है,हमारे गांवों में तो मातम पसरा है।"सरकार की नीतियों पर फूटा गुस्साकिसान और व्यापारी,दोनों ही सरकार की नीतियों से बेहद नाराज़ हैं। उनका कहना है:जब प्याज महंगा होता है,तो सरकार फ़ौरननिर्यात पर रोकलगा देती है,ताकि शहरों में कीमतें न बढ़ें।और जब प्याज सस्ता होकर मिट्टी के भाव बिकता है,तो सरकार उसे खरीदने के लिएआगे नहीं आती।किसानों की बस एक ही मांग है- "अगर सरकार हमारे मुनाफे पर रोक लगाती है,तो उसे हमारे नुकसान में भी भागीदार बनना चाहिए।"अब भले ही दिवाली के बाद प्याज के दाम कुछ बढ़ जाएं,लेकिन किसानों के पास बेचने के लिए अच्छी क्वालिटी का प्याज बचा ही कहां है?उनके लिए तो यह साल बर्बादी और नाउम्मीदी के सिवा कुछ नहीं लेकर आया।