छठ पूजा का संध्या अर्घ्य
संध्या अर्घ्य छठ पूजा
छठ पूजा का संध्या अर्घ्य: आज छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का आयोजन किया गया, जिससे इस दिन की पूजा का समापन हुआ। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। यह पूजा मुख्य रूप से संतान सुख और परिवार के कल्याण के लिए की जाती है। संध्या अर्घ्य के बाद व्रती महिलाएं व्रत कथा का पाठ करती हैं, जो कि इस पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, इसके बाद खरना, फिर संध्या अर्घ्य और अंत में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस व्रत का समापन होता है।
डूबते सूर्य को विधिपूर्वक अर्घ्यइस वर्ष 27 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 4:50 से 5:51 बजे तक था। इस दौरान बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित कई स्थानों पर व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। हालांकि, विभिन्न शहरों में संध्या अर्घ्य देने का समय भिन्न था।
इस चार दिवसीय व्रत में पवित्रता और कठोर नियमों का पालन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान से जुड़ी सभी परेशानियां समाप्त होती हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा का मुख्य दिन संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य को माना जाता है। संध्या अर्घ्य के बाद, अगले दिन यानी 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य दिया जाएगा।
उषा अर्घ्य का समय28 अक्टूबर को सूर्योदय का समय सुबह 6:30 बजे है। जो लोग 36 घंटे का निर्जला व्रत कर रहे हैं, वे इस समय उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन होगा.