हरˈ रोग का रामबाण उपाय है इस पोस्ट में.. जिसने अपनाएँ ये उपाय उसकी हो गई काया निरोगी छोड़ना मत काम की बात है﹒
        
             
             पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात, सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात ! 
धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार, दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार ! 
ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर, कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर ! 
प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप, बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप ! 
ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार, करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार ! 
भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार, चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार ! 
प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस, सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश ! 
दही उडद की दाल सँग, पपीता दूध के संग, जो खाएं इक साथ में, जीवन हो बदरंग ! 
प्रातः दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार, तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार ! 
भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार, डाक्टर, ओझा, वैद्य का, लुट जाए व्यापार 
देश,भेष,मौसम यथा, हो जैसा परिवेश, वैसा भोजन कीजिये, कहते सखा सुरेश ! 
इन बातों को मान कर, जो करता उत्कर्ष, जीवन में पग-पग मिले, उस प्राणी को हर्ष ! 
घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर, एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर ! 
अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास, पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास ! 
रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय, सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय ! 
सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश, भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश ! 
देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल, अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल ! 
टूथपेस्ट-ब्रश छोडकर, हर दिन दोनो जून, दांत करें मजबूत यदि, करिएगा दातून ! 
हल्दी तुरत लगाइए, अगर काट ले श्वान, खतम करे ये जहर को, कह गए कवि सुजान ! 
मिश्री, गुड, खांड, ये हैं गुण की खान, पर सफेद शक्कर सखा, समझो जहर समान !  
चुंबक का उपयोग कर, ये है दवा सटीक, हड्डी टूटी हो अगर, अल्प समय में ठीक ! 
दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ, बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ ! 
हँसना, रोना, छींकना, भूख, प्यास या प्यार, क्रोध, जम्हाई रोकना, समझो बंटाढार ! 
सत्तर रोगों को करे, चूना हमसे दूर, दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर ! 
यदि सरसों के तेल में, पग नाखून डुबाय, खुजली, लाली, जलन सब, नैनों से गुमि जाय ! 
भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ, पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड ! 
जो भोजन के साथ ही, पीता रहता नीर, रोग एक सौ तीन हों, फुट जाए तकदीर ! 
पानी करके गुनगुना, मेथी देव भिगाय, सुबह चबाकर नीर पी, रक्तचाप सुधराय ! 
अलसी, तिल, नारियल, घी, सरसों का तेल, यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल ! 
पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान, श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान 
तेल वनस्पति खाइके, चर्बी लियो बढाइ, घेरा कोलेस्टरॉल तो, आज रहे चिल्लाय ! 
अल्यूमिन के पात्र का, करता जो उपयोग, आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग ! 
फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर, ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर ! 
चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति, गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति ! 
नींबू पानी का सदा, करता जो उपयोग, पास नहीं आते कभी, यकृति-आंत के रोग ! 
दूषित पानी जो पिए, बिगडे उसका पेट, ऐसे जल को समझिए, सौ रोगों का गेट ! 
रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय, बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय ! 
भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड, अजवान, पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान ! 
लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान, तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान ! 
हृदय रोग, खांसी और आंव करें बदनाम, दो अनार खाएं सदा, बनते बिगडे काम !  
चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे, ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे ! 
सौ वर्षों तक वह जिए, लेत नाक से सांस, अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास ! 
सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान, घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान ! 
हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान, सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान ! 
अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर, नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर ! 
तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग, मिट जाते हर उम्र में, तन के सारे रोग !
 
पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात, सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात ! 
धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार, दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार ! 
ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर, कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर ! 
प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप, बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप ! 
ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार, करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार ! 
भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार, चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार ! 
प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस, सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश ! 
दही उडद की दाल सँग, पपीता दूध के संग, जो खाएं इक साथ में, जीवन हो बदरंग ! 
प्रातः दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार, तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार ! 
भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार, डाक्टर, ओझा, वैद्य का, लुट जाए व्यापार 
देश,भेष,मौसम यथा, हो जैसा परिवेश, वैसा भोजन कीजिये, कहते सखा सुरेश ! 
इन बातों को मान कर, जो करता उत्कर्ष, जीवन में पग-पग मिले, उस प्राणी को हर्ष ! 
घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर, एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर ! 
अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास, पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास ! 
रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय, सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय ! 
सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश, भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश ! 
देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल, अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल ! 
टूथपेस्ट-ब्रश छोडकर, हर दिन दोनो जून, दांत करें मजबूत यदि, करिएगा दातून ! 
हल्दी तुरत लगाइए, अगर काट ले श्वान, खतम करे ये जहर को, कह गए कवि सुजान ! 
मिश्री, गुड, खांड, ये हैं गुण की खान, पर सफेद शक्कर सखा, समझो जहर समान !  
चुंबक का उपयोग कर, ये है दवा सटीक, हड्डी टूटी हो अगर, अल्प समय में ठीक ! 
दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ, बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ ! 
हँसना, रोना, छींकना, भूख, प्यास या प्यार, क्रोध, जम्हाई रोकना, समझो बंटाढार ! 
सत्तर रोगों को करे, चूना हमसे दूर, दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर ! 
यदि सरसों के तेल में, पग नाखून डुबाय, खुजली, लाली, जलन सब, नैनों से गुमि जाय ! 
भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ, पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड ! 
जो भोजन के साथ ही, पीता रहता नीर, रोग एक सौ तीन हों, फुट जाए तकदीर ! 
पानी करके गुनगुना, मेथी देव भिगाय, सुबह चबाकर नीर पी, रक्तचाप सुधराय ! 
अलसी, तिल, नारियल, घी, सरसों का तेल, यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल ! 
पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान, श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान 
तेल वनस्पति खाइके, चर्बी लियो बढाइ, घेरा कोलेस्टरॉल तो, आज रहे चिल्लाय ! 
अल्यूमिन के पात्र का, करता जो उपयोग, आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग ! 
फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर, ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर ! 
चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति, गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति ! 
नींबू पानी का सदा, करता जो उपयोग, पास नहीं आते कभी, यकृति-आंत के रोग ! 
दूषित पानी जो पिए, बिगडे उसका पेट, ऐसे जल को समझिए, सौ रोगों का गेट ! 
रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय, बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय ! 
भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड, अजवान, पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान ! 
लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान, तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान ! 
हृदय रोग, खांसी और आंव करें बदनाम, दो अनार खाएं सदा, बनते बिगडे काम !  
चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे, ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे ! 
सौ वर्षों तक वह जिए, लेत नाक से सांस, अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास ! 
सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान, घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान ! 
हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान, सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान ! 
अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर, नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर ! 
तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग, मिट जाते हर उम्र में, तन के सारे रोग ! 
 श्वास ( दमा ) Asthma
 श्वास ( दमा ) Asthma
 
छोटी पिपली संग सम, पीसे पुस्करमूल।
 
माशा चाटे शहद सँग, नाशै दमा समूल ।।
 
भृगराज के स्वरस को, चाटे शहद मिलाय ।
 
कफ प्प्रकोप के श्वास में , शीघ्र लाभ दरशाय । ।
 
आक पत्र दो नग धरे, काली मिरच पचास ।
 
घोट पीस इक रस करें, वटी उड़द आभास ।
 
छै-छै वटिका कुछ दिना, प्रात समय ले खाय ।
 
ता पर कोसा जल पिवे, दमा रोग जड़ जाय । ।
 
 हृदय रोग Heart Disease
 हृदय रोग Heart Disease
 
अर्जुन छाल मँगाय के, पचगुन सिता मिलाय ।
 
तोला नित गो दुग्ध में, निराहार पी जाय । ।
 
एक शाल विधिवत करे, यही सतत सदुपाय ।
 
हृदय रोग सब भांति के, रहें समूल नसाय । ।
 
गाजर खावे पाव भर, प्रातकाल निरहार ।
 
ह्रदय रोग ने गुन करे, मिटे त्रिदोष विकार । ।
 
हरड़ सोठ बच पिप्पली, सब का चूर्ण बनाय ।
 
मात्रा विधि अनुसार ले, रोग हृदय का जाय । ।
 
 पाण्डु रोग ( पीलिया ) Jaundice
 पाण्डु रोग ( पीलिया ) Jaundice
 
कटु तुरई रस काढ़ि के, बूँद नस्य ले चार।
 
झरे नाक के पीत जल, नासै पाण्डु विकार । ।
 
पीत हरड़ को लाय के, छाने कूट पिसाय ।
 
मिश्री वामें पीस के, भाग समान मिलाया
 
छै छै माशे औषधि, ताजा जल से खाया
 
कुछ दिन ले दोनों समय, रोग पीलिया जाय । ।
 
पुनर्नवा के मूल का, टुकड़ा कर इक्कीस।
 
करे माल धागा पिरो, पहने दिन दस बीस । ।
 
जाको होवे पीलिया, रोग समूल नसाय ।
 
स्वास्थ्य लाभ हो जाय तो, धरे वृक्ष पर जाय। ।
 
 मधुमेह Diabetes
 मधुमेह Diabetes
 
जामुन गुठली मिंग औ , सम पीसे गुडमार ।
 
जल सँग माशे तीन ले, नित ही साँझ सकार । ।
 
अति गुणकारी औषधी, सदा सँवारे देह ।
 
या को विधिवत नित्य ले, मिटे रोग मधुमेह। ।
 
हरा करेला फल स्वरस , दो तोले कढ़वाय ।
 
पहले अल्पाहार ले, पीवे नमक मिलाया ।
 
प्रात: लेवे नियम से, नित्य महीना दोय ।
 
कष्ट मिटे मधुमेह का, करे अपथ्य न कोय । ।
 
अनानास कं स्वरस को, रत्ती हल्द मिलाय ।
 
कुछ दिन ले मधुमेह में , रहे लाम दरशाय । ।
 
 लकवा ( अधरंग ) paralysis
 लकवा ( अधरंग ) paralysis
 
आक पत्र सेंग सिद्ध करि, तेल करे अभ्यंग।
 
यत्न सहित कुछ दिन करे, ठीक होय अधरंग । ।
 
सोंठ वचा के चूर्ण कॉ, आठ गुने मधु संग ।
 
छै माशा ले दो समय, जाय रोग अधरंग । ।
 
 गठिया Arthritis
 गठिया Arthritis
 
इन्द्रायण की मूल औ, सम पिप्पली मिलाय ।
 
चार टंक नित चूर्ण ले, वात सन्धिगत जाय । ।
 
ताजा बथुआ लाय के, लेवे स्वरस कढाय ।
 
नित पीवे तोला सवा, जाये गठिया बाय । ।
 
 सफ़ेद दाग White spot
 सफ़ेद दाग White spot
 
बीज मैंगावे वाकूची, चूरण करे पिसाय ।
 
त्रय माशा ले दो समय, श्वेत दाग मिट जाय । ।
 
ज्योतिमती औ बाबची, तेल समान मिलाय ।
 
श्येत दाग पर मलि रहे, कुछ दिन ने मिट जाय । ।
 
माशा नरियल तेल में , दे नोसादर चूर्ण ।
 
श्वेत दाग लेपन करे, मिटे दाग सम्पूरण । ।
 
 कैंसर Cancer
 कैंसर Cancer
 
केवल गाजर स्वरस ले, खान-पान बिसराय ।
 
नौ महिना की अवधि में, रक्त केंसर जाय । ।
 
पौध उगाई गेहूँ की, नो दिन की जब होय ।
 
देवे पीस निचोड़ के रोगी पीवे सोय।
 
जाके तन हो केंसर, दुग्ध भात ले पथ्य।
 
तीन महीना नित्य ले, होवे लाम अकथ्य। ।
 
 उच्च रक्तचाप High blood pressure
 उच्च रक्तचाप High blood pressure
 
तीन मील घूमा करे, प्रात: नंगे पैर ।
 
रक्तचाप होवे नहीं, हृदय रोग से खैर । ।
 
बासी रोटी गेहूं की, भिगो दूध में खाय।
 
उच्च रक्त के चाप में, शीघ्र लाभ दरसाय ।
 
तोला ब्राह्मी पत्र रस, पीवे सॉझ-सकार । .
 
उच्च रक्त के चाप में , जल्दी होय सुधार । ।