दिल्ली हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: कानून छात्रों के लिए उपस्थिति नियमों में बदलाव
Naukri Nama Hindi November 05, 2025 12:42 AM
दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश


BCI: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कानून के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को तीन साल और पांच साल के LLB पाठ्यक्रमों के लिए अनिवार्य उपस्थिति नियमों की समीक्षा और संशोधन करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि छात्रों को उपस्थिति की कमी के आधार पर परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जाना चाहिए।


मामले की पृष्ठभूमि

जस्टिस प्रभा एम. सिंह और अमित शर्मा की पीठ ने 2016 में एक छात्र की आत्महत्या से संबंधित मामले में यह आदेश जारी किया। उस छात्र को खराब उपस्थिति के कारण परीक्षा में बैठने से रोका गया था।


कानूनी शिक्षा का व्यापक दृष्टिकोण

कानूनी शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित नहीं है।
हाई कोर्ट ने कहा कि कानूनी शिक्षा केवल रटने या कक्षा में उपस्थित रहने तक सीमित नहीं है। इसमें कानून को समझना, लागू करना और प्रभावी ढंग से उपयोग करना शामिल है। कोर्ट ने आगे कहा कि कक्षा में केवल शारीरिक उपस्थिति पर्याप्त नहीं है, यह छात्रों की रचनात्मक स्वतंत्रता को सीमित करता है।


छात्रों की भागीदारी को मान्यता

इन गतिविधियों के लिए क्रेडिट

हाई कोर्ट की पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा कि वह अपने नियमों में संशोधन करे ताकि छात्रों की भागीदारी को शैक्षणिक जुड़ाव के हिस्से के रूप में शामिल किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि छात्रों को मूट कोर्ट, सेमिनार, मॉक ट्रायल, बहस और कोर्ट विजिट जैसी गतिविधियों में भागीदारी के लिए क्रेडिट दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ये परिवर्तन नई शिक्षा नीति 2020 और UGC नियमावली 2023 के अनुसार होने चाहिए।


© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.