अगर आप भी क्राइम थ्रिलर फ़िल्मों और ओटीटी सिरीज़ के शौकीन हैं, तो आपने देखा होगा कि जब कोई अपराध होता है तो क्राइम सीन पर छूटा एक बाल, फिंगरप्रिंट, नाख़ून में पाए जाने वाले कण या कोई मोबाइल मैसेज किस तरह अहम सुराग़ बनकर सच तक पहुंचने का रास्ता बन जाते हैं.
जो लोग इन सुराग़ों को इकट्ठा कर इन्हें पढ़ना-समझना जानते हैं, वो जुड़े होते हैं फॉरेंसिक साइंस (Forensic Science) से. एक ऐसी फ़ील्ड जो लॉजिक, टेक्नोलॉजी और साइंस के तीन पायदानों पर खड़ी है.
आज बात करेंगे इसी फ़ील्ड में बनने वाले करियर और इससे जुड़ी नौकरियों की संभावनाओं पर.
किन लोगों के लिए ये करियर सही साबित हो सकता है और इस फील्ड में कदम रखने के लिए क्या-क्या योग्यताएं ज़रूरी हैं? आइए, इन सवालों के जवाब तलाशते हैं.
फॉरेंसिक साइंस में करियर की गुंजाइश
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भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत अब गंभीर अपराधों में जांच प्रक्रिया को असरदार बनाने के इरादे से फॉरेंसिक सबूत इकट्ठे करना ज़रूरी बना दिया गया है.
जैसे-जैसे आपराधिक मामले बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे फॉरेंसिक एक्सपर्ट की ज़रूरत भी बढ़ती जा रही है.
फॉरेंसिक साइंटिस्ट वे होते हैं जो किसी क्राइम सीन यानी अपराध वाली जगहों से मिले सबूतों का विश्लेषण साइंटिफ़िक तरीके से करते हैं. इसके बाद ये जो रिपोर्ट देते हैं वे पुलिस, वकीलों, जांचकर्ताओं या जजों को ये समझने में मदद करती है कि उस मामले में आख़िर क्या हुआ होगा.
फॉरेंसिक एक्सपर्ट कहां-कहां काम कर सकते हैं:
जानकारों के मुताबिक फॉरेंसिक साइंस पढ़ने के लिए देश में जो बड़े संस्थान गिने जाते हैं, उनमें नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफ़एसयू), इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस (मुंबई), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), और हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी शामिल है.
देश के अलग-अलग राज्यों में एनएफ़एसयू के कैम्पस हैं. इनके लिए अलग कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होता है. इसके अलावा प्राइवेट यूनिवर्सिटी में भी इससे जुड़े कोर्स पढ़ाए जाते हैं और उनके लिए अलग प्रवेश परीक्षा होती है.
फॉरेंसिक साइंस वो फ़ील्ड है जिसमें फ़िजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और कंप्यूटर साइंस जैसी अलग-अलग ब्रांच होती हैं. इन सभी का इस्तेमाल अपराधों की जांच करने या ऐसे साक्ष्यों की पड़ताल करने में किया जाता है, जिन्हें अदालत में पेश किया जा सके.
यूं तो इसका दायरा काफ़ी बड़ा है, फिर भी अगर मन में ये सवाल आए कि फॉरेंसिक साइंस कितनी तरह की होती है? तो इसका जवाब है:
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अगर कोई फॉरेंसिक साइंस पढ़ना चाहता है तो इसके लिए 12वीं क्लास में फ़िज़िक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी/मैथ्स होना ज़रूरी है. अधिकतर कॉलेजों में दाखिले के लिए 12वीं में कम से कम 50 फ़ीसदी अंक भी ज़रूरी होते हैं.
मगर इन शर्तों से भी ऊपर है ये पता करना कि फॉरेंसिक साइंस किसी स्टूडेंट के लिए सही विकल्प है या नहीं.
सिमरन ठाकुर हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं. उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से ही फॉरेंसिक साइंस में साल 2021 में बीएससी की थी. यहीं से एमएससी की पढ़ाई की और फिलहाल इसी विषय में पीएचडी भी कर रही हैं.
सिमरन के पास 12वीं में बायोलॉजी सब्जेक्ट भी था और उनके परिवार को उम्मीद थी कि वह मेडिकल की तैयारी करेंगी. मगर उन्होंने फॉरेंसिक साइंस को चुना.
सिमरन बताती हैं कि उन्हें फ़िजिक्स और केमिस्ट्री भी उतनी ही पसंद थी. फॉरेंसिक साइंस पढ़ने के पीछे उनके लिए सबसे बड़ी वजह यही थी कि वो हर तरह की साइंस पढ़ना चाहती थीं, उसे कैसे अप्लाई करना है, वो ये समझना चाहती थीं.
हमने उनसे पूछा कि किसी स्टूडेंट में वो कौन से अहम कौशल हैं, जो उन्हें इस कोर्स के लिए फिट बनाते हैं.
उन्होंने कहा, "सबसे पहले तो ऑब्ज़रवेशनल स्किल पर ध्यान दें. क्योंकि आप कहीं टहल रहे हों तो भी आपकी आंखें, नाक और कान खुले रहने चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि एक-एक कोने में क्या चीज़ दिखी. फॉरेंसिक में सबसे बड़ा फ़ैक्टर यही है कि आप कितनी बारीकी से किसी चीज़ को देख रहे हैं."
"दूसरा. सब्र या धैर्य रखें. कभी-कभी हम निष्कर्ष पर पहुंचने में जल्दबाज़ी करते हैं. जो फॉरेंसिक वालों के लिए नहीं है. आपको कड़ी मेहनत करनी ही होगी. आपको हर चीज़ की गहरी जानकारी होना ज़रूरी है. आख़िर में ये कि आपके पास किसी समस्या को सुलझाने का कौशल होना चाहिए."
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फॉरेंसिक से जुड़ी सरकारी नौकरियों के लिए जो परीक्षाएं होती हैं, उनमें शामिल हैं:
लेकिन क्या फॉरेंसिक पढ़ने वालों के लिए इतने ही मौके हैं?
नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी में फॉरेंसिक साइंसेज़ डिपार्टमेंट के हेड डॉ. विश्वप्रकाश नाइक बताते हैं कि बीएससी फॉरेंसिक्स करने वालों के लिए सरकारी नौकरियों में एक बड़ा विकल्प रहता है कि वो इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी में हर साल निकलने वाली नौकरियों के लिए अप्लाई कर दें.
उनका कहना है, "हर साल 1200-1300 कैंडिडेट्स आईबी में जाते हैं. बल्कि 2025 में आईबी ने करीब 4 हज़ार एसीआईओ (असिस्टेंट सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफ़िसर), एग्ज़ीक्यूटिव की भर्तियां निकाली थीं. इनमें फॉरेंसिक्स पढ़े स्टूडेंट्स के लिए सबसे बड़ा फायदा उनकी ऑब्ज़रवेशन स्किल होती हैं."
डॉ. नाइक के मुताबिक, "आईटी कंपनियों में एक रोल होता है एनालिस्ट का. वो भी फॉरेंसिक का ही काम करते हैं. फूड इंडस्ट्री में भी फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का काम है. मान लीजिए किसी खाने के सामान में किसी भी तरह की मिलावट है. चाहे दूध हो, मिठाई हो या पनीर, उसमें जो मिलावटी सामान का पता लगा रहा है, वो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ही है."
ग्रोथ की क्या संभावनाएं हैं?
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सिमरन ठाकुर का कहना है कि एक बार आप 'पीएचडी इन फॉरेंसिक' कर लें तो आपके पास बहुत से मौके होते हैं.
जैसे पहला तो एकेडमिक्स में ही जा सकते हैं यानी पढ़ा सकते हैं.
दूसरा, रिसर्च कर सकते हैं. हर दिन क्राइम बढ़ता जा रहा है, तो हमें नई तरह की तकनीकें भी चाहिए, जिससे पता लग सके कि किस तरह अपराध को अंजाम दिया जा रहा है.
सिमरन कहती हैं, "हम डिटेक्टिव एजेंसी के साथ जुड़ सकते हैं, वकीलों के साथ जुड़ सकते हैं. एक तरह से देश की सेवा कर सकते हैं."
डॉक्टर नाइक भी कुछ ऐसी ही राय रखते हैं. उनका कहना है कि एमएससी करने के बाद कई विकल्प खुलते हैं. वो कहते हैं कि जिसकी फ़िंगरप्रिंट स्टडी और डॉक्यूमेंट विश्लेषण अच्छा है वो बैंकिंग सेक्टर और इंश्योरेंस सेक्टर में भी जा सकते हैं.
जिनकी केमिस्ट्री अच्छी है वे लैब्स में जा सकते हैं, अब तो कई वॉटर, एयर, फूड लैब्स आ गई हैं.
जो आईटी में अच्छे हैं वो आईटी कंपनियों में भी जा सकते हैं, जहां अच्छे पैकेज मिलने की संभावना होती है.
इसके अलावा प्राइवेट इनवेस्टिगेशन एजेंसियों का सेक्टर भी बड़ी संख्या में फॉरेंसिक्स के स्टूडेंट्स को नौकरी देता है.
फॉरेंसिक्स के स्टूडेंट्स की मांग लॉ फ़र्म में भी होती है. क्योंकि जो वकील हैं उन्हें सभी धाराओं का ज्ञान है, लेकिन वे किसी साइंटिफ़िक रिपोर्ट को समझ नहीं पाते हैं. वहां पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट मदद करते हैं, और वकील अदालत में दलीलें दे पाते हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित