कैथल, मुआवजा: केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे को बढ़ाते हुए अब जंगली जानवरों द्वारा फसलों को होने वाले नुकसान को भी बीमा कवरेज में शामिल कर लिया है। इससे किसान अब अतिवृष्टि, बाढ़ या जलभराव के साथ-साथ जंगली जानवरों से हुए नुकसान का भी मुआवजा क्लेम कर सकेंगे।
इस निर्णय से कैथल जिले के साथ-साथ देशभर के लाखों किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है, जिनकी फसलें हर साल हाथियों, नीलगायों, जंगली सूअरों, हिरणों और बंदरों के कारण भारी नुकसान झेलती हैं।
यह कवर खरीफ-2026 से ऐड-ऑन विकल्प के रूप में उपलब्ध होगा और इसे स्थानीय जोखिम श्रेणी में रखा गया है। जिले के बदपुरा, खेड़ी गुलाम अली, फर्शमाजरा, उम्मेदपुर, सीवन, नौच, कक्यौर, मटौर, संयौसर जैसे गांव हर साल जंगली जानवरों के आतंक से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। कई बार तो इन गांवों में 50 प्रतिशत तक फसल भी नहीं बच पाती।
नई व्यवस्था के तहत, किसानों को फसल को हुए नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के माध्यम से देनी होगी। किस जानवर से हुए नुकसान का दावा किया जा सकता है, यह सूची संबंधित राज्य सरकारें जारी करेंगी। राज्य पिछले वर्षों के नुकसान के आंकड़ों का विश्लेषण कर संवेदनशील जिलों और बीमा इकाइयों की पहचान भी करेंगे।
किसान मेहनत से फसल उगाते हैं, लेकिन जंगली जानवर उनकी मेहनत को बर्बाद कर देते हैं। सरकार ने इस योजना का विस्तार करके किसानों को बड़ी राहत देने का कार्य किया है।
गांव नौच के किसान राजू ने बताया कि कई बार बंदर उनकी सारी फसल को तहस-नहस कर देते हैं। पहले मुआवजे का प्रावधान न होने के कारण उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था।
अब इस योजना के विस्तार से किसानों को लाभ मिलेगा, जिनकी फसलें जंगली जानवरों के कारण बर्बाद होती थीं। ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से जंगलों के आसपास सुरक्षा जाल लगाने की मांग की जा रही थी, लेकिन समाधान नहीं मिला। अब योजना के विस्तार से किसानों में राहत की भावना है।