लेट गेहूं की बुवाई: मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में धान की खेती प्रमुखता से होती है। कई बार धान की कटाई में देरी होती है, जिससे किसान गेहूं की बुवाई समय पर नहीं कर पाते।
हालांकि, अच्छी बात यह है कि यदि आप लेट गेहूं बो रहे हैं, तो तकनीक और किस्म के चयन में कुछ बदलाव करके अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
किसान पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि लेट बुवाई के लिए सबसे पहले सही किस्म का चयन करना आवश्यक है।
गर्मी सहनशील और देर से बोने पर भी अच्छे परिणाम देने वाली गेहूं की वैरायटी—
HI 1544
उषा तेजस (HI 8759)
CG1029
इन वैरायटीज़ की विशेषता यह है कि ये उच्च तापमान में भी अच्छी वृद्धि करती हैं और दाने की गुणवत्ता बनाए रखती हैं।
खींचतान वाले मौसम में समय की बचत के लिए सुपर सीडर मशीन किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है।
राम अवतार पटेल बताते हैं कि पारंपरिक जुताई में खेत तैयार करने में 15–20 दिन लगते हैं, जबकि सुपर सीडर से खेत की नमी में ही बुवाई की जा सकती है।
जो किसान अभी गीले खेतों में हैं, उन्हें बिना देरी सुपर सीडर से बुवाई कर लेनी चाहिए।
सूखे खेतों में किसान सीड ड्रिल मशीन का उपयोग कर सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञ संजय सिंह का कहना है कि गेहूं की पहली सिंचाई बुवाई के 21–25 दिन बाद अवश्य करनी चाहिए। इससे जड़ें मजबूत होती हैं।
कुल 4–5 सिंचाई आवश्यक हैं—
दूसरी सिंचाई: 40–45 दिन में
तीसरी: 60–65 दिन में
चौथी: 80–90 दिन में
अंतिम सिंचाई: 100–110 दिन में
समय पर सिंचाई से फसल की पैदावार में काफी वृद्धि होती है।
सर्दियों में गेहूं की पत्तियों का पीला पड़ना एक सामान्य समस्या है।
संजय सिंह बताते हैं कि यह तब होता है जब पौधों तक उर्वरक सही तरीके से नहीं पहुंच पाता।
यदि पत्तियों में पीलापन दिखाई दे, तो 8–10 ग्राम यूरिया को प्रति लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर छिड़काव करें। इससे पौधा फिर से हरा-भरा नजर आएगा।