भारत का खाद्य सेवा क्षेत्र एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें क्लाउड किचन, क्यूएसआर और कैफे चेन तेजी से संगठित बाजार को आगे बढ़ा रहे हैं.
स्विगी की 'हाउ इंडिया ईट्स 2025' रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारतीय उपभोक्ता अधिक प्रयोगशील बनेंगे, वैश्विक व्यंजनों के प्रति खुलेंगे और पारंपरिक भारतीय स्वादों को नए तरीके से अपनाएंगे. बढ़ती आय, डिजिटल प्लेटफॉर्म का विस्तार और सुविधा की चाह इस परिवर्तन को प्रेरित कर रही है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का फूड सर्विसेज मार्केट 2030 तक 125 अरब डॉलर को पार करने की दिशा में अग्रसर है. संगठित बाजार की वृद्धि अनौपचारिक क्षेत्र की तुलना में दोगुनी तेज रहने की उम्मीद है. क्लाउड किचन, क्यूएसआर और कैफे चेन इस विकास के प्रमुख चालक होंगे. वर्तमान में, यह क्षेत्र भारत की जीडीपी में 1.9% का योगदान देता है, जो चीन और ब्राजील की तुलना में काफी कम है, लेकिन इसमें बड़ी संभावनाएं हैं.
भारतीय उपभोक्ता अब पहले से अधिक नई डिशेज और रेस्तरां का अनुभव कर रहे हैं. प्रति ग्राहक ऑर्डर की जाने वाली यूनिक कुजीन में 20% की वृद्धि देखी गई है. आधी रात के बाद ऑर्डर होने वाले भोजन की वृद्धि डिनर के मुकाबले तीन गुना तेज है. इसके अलावा, हेल्दी मील की मांग भी तेजी से बढ़ी है, खासकर प्रोटीन-युक्त और कम कैलोरी वाले विकल्पों की.
रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि भारत की क्षेत्रीय रसोइयां फिर से लोकप्रिय हो रही हैं. गोअन, बिहारी और पहाड़ी व्यंजन 2 से 8 गुना तेजी से बढ़ रहे हैं. स्थानीय पेय जैसे छाछ और शरबत भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. यह ट्रेंड वैश्विक ब्रांड्स को भारतीय स्वादों के अनुरूप बदलाव करने के लिए प्रेरित कर रहा है, जैसे कालाखट्टा कोल्ड ब्रू या चिल्ली-गुआवा ड्रिंक.
कोरियन, वियतनामी और मैक्सिकन व्यंजन अब भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सामान्य होते जा रहे हैं. कोरियन कुजीन में 17 गुना और बबल टी में 11 गुना खोज बढ़ी है. सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा इन ग्लोबल व्यंजनों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना रहे हैं. सुशी, टैकोस और कोरियन बीबीक्यू अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं रह गए हैं.
स्विगी के सीईओ रोहित कपूर के अनुसार, तेज डिलीवरी सेवाएं, सस्ती कीमतों की मांग और विविध स्वादों का अपनाना उद्योग को नए दिशा-निर्देश दे रहा है. वहीं, केयरनी के राजत तुली बताते हैं कि मेट्रो शहरों से बाहर भोजनालयों की वृद्धि दोगुनी तेज है. जेन-जी उपभोक्ता इस बदलाव के सबसे बड़े प्रेरक बन रहे हैं, जो नए फॉर्मेट, डिजिटल अनुभव और आकर्षक लोकेशनों की मांग कर रहे हैं.