महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन हो रहा है, लेकिन इसके परिणाम सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करेंगे। दरअसल, अदालत में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने का मामला विचाराधीन है। चुनाव जो दो दिसंबर को होने वाले हैं, उनके पहले कई भावनात्मक मुद्दे उठाए जा रहे हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) हिंदी भाषी लोगों के साथ हिंसा कर रही हैं। इसके अलावा, मनसे और भाजपा ने नाम परिवर्तन का भावनात्मक मुद्दा भी उठाया है। अब हर जगह से 'बॉम्बे' हटाकर 'मुंबई' करने की मांग तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में आईआईटी बॉम्बे में कहा था कि भगवान का शुक्र है कि यहां 'मुंबई' नहीं कहना पड़ रहा है, जिसके बाद विवाद शुरू हुआ।
राज ठाकरे, जो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता हैं, ने सबसे पहले कहा कि आईआईटी बॉम्बे का नाम बदलकर आईआईटी मुंबई किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने की बात कही। इसके तुरंत बाद, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र से मांग करेगी कि आईआईटी बॉम्बे का नाम बदला जाए। उल्लेखनीय है कि 'बॉम्बे' या 'बम्बई' का नाम बदलकर 'मुंबई' कर दिया गया था, लेकिन आईआईटी और हाई कोर्ट जैसे संस्थानों के नाम में अब भी 'बॉम्बे' ही इस्तेमाल हो रहा है। इस पर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या आईआईटी के बाद हाई कोर्ट का नाम बदलने की भी मांग की जाएगी? ध्यान देने योग्य है कि हाई कोर्ट को अब भी 'बॉम्बे हाई कोर्ट' कहा जाता है, जैसे पश्चिम बंगाल में 'कलकत्ता हाई कोर्ट' और तमिलनाडु में 'मद्रास हाई कोर्ट' है। वहां अभी तक अंग्रेजों के जमाने के नाम ही चल रहे हैं।