नई दिल्ली: भारत और अफगानिस्तान ने एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदारी की घोषणा की है, जिसने पाकिस्तान की चिंताओं को बढ़ा दिया है। दोनों देशों की प्रमुख दवा कंपनियों ने 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर, जो लगभग 900 करोड़ रुपये के बराबर है, के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता तब हुआ है जब तालिबान ने पाकिस्तान के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया है और अफगान कंपनियों को पाकिस्तानी सप्लायरों से दवा व्यापार समाप्त करने के लिए तीन महीने का समय दिया है।
इस नए समझौते को पाकिस्तान के लिए एक सीधा झटका माना जा रहा है। यह डील अफगानिस्तान की रोफी इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ कंपनीज और भारत की जाइडस लाइफसाइंसेज के बीच दुबई में संपन्न हुई है। अफगानिस्तान के स्वास्थ्य क्षेत्र के पुनर्निर्माण में इसे एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा रहा है। अफगान वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने इसे ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और घटिया आयातित दवाओं पर निर्भरता कम करने में सहायक होगी।
इस अवसर पर अफगान राजदूत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, जाइडस लाइफसाइंसेज पहले चरण में अफगानिस्तान को दवाएं निर्यात करेगा। इसके बाद, कंपनी अफगानिस्तान में अपना प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित करेगी और वहां स्थानीय स्तर पर दवा उत्पादन शुरू करेगी। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि दवा उत्पादन के लिए आवश्यक तकनीकी डेटा का ट्रांसफर पहले ही आरंभ हो चुका है।
यह समझौता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान की जगह भारत को अफगानिस्तान के लिए एक प्रमुख सप्लाई चेन केंद्र बना सकता है। लंबे समय से पाकिस्तान अफगानिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण पारगमन केंद्र रहा है, लेकिन तालिबान द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद स्थिति में बदलाव आ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील नई दिल्ली और काबुल के बीच व्यापार साझेदारी को नई दिशा देगी और भविष्य में और बड़े समझौते संभव हैं।
वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी ने हाल ही में भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने की अपील की थी। उन्होंने भारत को आश्वासन दिया था कि अफगानिस्तान व्यापार के लिए पूरी तरह खुला है और भारतीय कंपनियों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी। अब यह 100 मिलियन डॉलर का एमओयू उस कूटनीतिक और आर्थिक बातचीत का पहला ठोस परिणाम माना जा रहा है।
यह समझौता भारत और अफगानिस्तान के संबंधों को नई मजबूती प्रदान करता है और अफगानिस्तान को पाकिस्तान पर निर्भरता से बाहर निकालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से दोनों देशों के बीच भविष्य के सहयोग की नई संभावनाएं खुल रही हैं।