जबलपुर, 28 नवंबर (Udaipur Kiran) . मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने जबलपुर में वकीलों के चेम्बर्स और मल्टी लेबल पार्किंग के लिए बजट का आवंटन न करने के मामले पर टिप्पणी करते हुये कहा कि प्रदेश सरकार के रवैये से समझ आ रहा है कि बजट आवंटन में सबको प्राथमिकता दी जाती है, बस ज्यूडीशियरी को आखिरी में रखा जाता है.
दरअसल इस बारे में गुरुवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने नाराजगी जताते हुए कहा ‘यदि वित विभाग के प्रमुख सचिव अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे हैं तो हम उनको ही बुला लेते हैं. उनसे यह भी पूछना चाहेंगे कि पिछले 6 माह में उन्होंने कितने प्रस्तावों पर विचार किया, यदि सरकार के पास वित्तीय संकट है तो वैसा बताएं फिर हम उचित आदेश पारित करेंगे.’ बेंच ने वित्त विभाग के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर 17 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर ठोस नतीजा पेश किया जाए.
मप्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन की ओर से दावर जनहित याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट परिसर के सामने स्थित जमीन पर एडवोकेट्स चेम्बर्स और मल्टी लेवल पार्किंग का भूमिपूजन चार मई को सीएम मोहन यादव ने किया था. पांच मई को शासन ने 116 करोड़ से तैयार होने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए सैद्धांतिक बाद भी वित्तीय अनुमति प्रदान नहीं दी गई. शासन की तरफ से अधिवक्ता हरप्रीत रूपराह ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को संजीदगी से ले रही और जल्द ही इस बारे में ठोस निर्णय ले लिया जाएगा. याचिका कर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल और दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की.
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
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