क्या सोने-चांदी की कीमतों में आएगा गिरावट? जानें विशेषज्ञों की राय
Gyanhigyan December 22, 2025 03:43 AM
सोने और चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव

गोल्ड सिल्वर रेट

हाल के हफ्तों में सोने और चांदी की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन साल के अंत में यह रुख बदल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले सप्ताह बुलियन बाजार में स्थिरता या हल्की गिरावट देखने को मिल सकती है। इसका मुख्य कारण अमेरिका से आने वाले महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े और क्रिसमस-न्यू ईयर की छुट्टियों के चलते बाजार में कम गतिविधि है।

रिपोर्ट के अनुसार, निवेशक अगले सप्ताह अमेरिका के GDP, हाउसिंग डेटा, कोर ड्यूरेबल गुड्स और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस जैसे आंकड़ों पर ध्यान देंगे। ये आंकड़े अमेरिका की आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं और इसी के आधार पर डॉलर और ब्याज दरों की दिशा तय होती है। जब तक ये आंकड़े जारी नहीं होते, तब तक निवेशक बड़े फैसले लेने से बच सकते हैं, जिसका सीधा असर सोने-चांदी की कीमतों पर पड़ता है।

क्रिसमस और न्यू ईयर के कारण वैश्विक बाजारों में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम रहने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरान बड़े निवेशक बाजार से दूर रह सकते हैं, जिससे कीमतों में बड़ी तेजी की बजाय सीमित उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। हालांकि, कम वॉल्यूम के कारण अचानक तेज मूवमेंट का खतरा भी बना रहता है।

रिकॉर्ड स्तर पर ठहराव की संभावना

घरेलू बाजार में सोने ने हाल ही में नया रिकॉर्ड बनाया है। MCX पर गोल्ड फ्यूचर्स पिछले हफ्ते मजबूती के साथ बंद हुए हैं और कई हफ्तों से लगातार बढ़त बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी लंबी तेजी के बाद मुनाफावसूली आना स्वाभाविक है। इसके अलावा डॉलर की चाल और रुपये की कमजोरी भी घरेलू सोने की कीमतों को प्रभावित कर रही है।

चांदी में तेजी के बाद जोखिम बढ़ा

इस वर्ष चांदी ने सोने की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले हफ्ते चांदी की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया और यह अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, अब विशेषज्ञ सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि चांदी में तेजी काफी तेज रही है और मौजूदा स्तरों पर रिस्क अधिक दिखाई देता है। ऐसे में किसी भी समय करेक्शन आ सकता है।

निवेशकों के लिए सलाह

विशेषज्ञों के अनुसार, लंबी अवधि में सोना और चांदी दोनों के लिए माहौल सकारात्मक है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में नरमी और करेंसी में कमजोरी का ट्रेंड बना हुआ है। लेकिन शॉर्ट टर्म में निवेशकों को जल्दबाजी से बचना चाहिए। जो निवेशक पहले से मुनाफे में हैं, वे आंशिक मुनाफावसूली पर विचार कर सकते हैं, जबकि नए निवेशकों के लिए गिरावट का इंतजार करना बेहतर रणनीति हो सकती है।

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