News India Live, Digital Desk : हम और आप अक्सर सड़कों के किनारे या बंजर जमीनों पर उगी नागफनी (Cactus) को देखकर मुंह फेर लेते हैं। हमें लगता है कि यह तो बेकार का, कांटों वाला पौधा है। लेकिन, अब नजरिया बदलने का वक्त आ गया है। उत्तर प्रदेश सरकार और उद्यान विभाग (Horticulture Department) ने तय किया है कि इसी नागफनी को अब किसानों की आमदनी का जरिया बनाया जाएगा।37 जिलों में बजेगा डंकाजी हां, विभाग ने एक नया खाका तैयार किया है। इसके तहत प्रदेश के 37 जिलों के किसानों को कैक्टस की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा फायदा उन जिलों को होगा जहां पानी की कमी है, जैसे—बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र (मिर्जापुर, सोनभद्र आदि)।सरकार का तर्क बहुत सीधा है जहाँ पानी नहीं है और जमीन पथरीली या बंजर है, वहां दूसरी फसलें दम तोड़ देती हैं। लेकिन कैक्टस वहां भी शान से खड़ा रहता है।कौन सा कैक्टस? (बिना कांटों वाला जादू)घबराइए नहीं, आपको वो जंगल वाला कांटेदार कैक्टस नहीं उगाना है। उद्यान विभाग किसानों से 'कांटा रहित' (Spineless) प्रजाति के कैक्टस की खेती करवाएगा। इसे छूने पर हाथ में कांटे नहीं चुभेंगे।इसके दो सबसे बड़े फायदे हैं:पशुओं के लिए पौष्टिक चारा: सूखे के दिनों में जब हरा चारा नहीं मिलता, तब यह कैक्टस पशुओं के लिए 'संजीवनी' का काम करेगा। इसमें भरपूर पानी और पोषक तत्व होते हैं, जिससे गाय-भैंस का दूध भी बढ़ता है।बाजार में सीधी बिक्री: सिर्फ चारा ही नहीं, आज के दौर में कैक्टस की डिमांड बहुत ज्यादा है। इसका इस्तेमाल दवाइयां, शैम्पू, क्रीम और यहां तक कि 'बायो-लेदर' (Bio-Leather) बनाने में हो रहा है। कंपनियां सीधे आपके खेत से इसे खरीद सकती हैं।आम के आम, गुठलियों के दामसबसे अच्छी बात यह है कि इसे अलग से खेत में उगाने की जरूरत नहीं है। किसान भाई इसे अपनी खेत की मेड़ (Boundaries) पर बाड़ के तौर पर लगा सकते हैं। इससे खेत सुरक्षित भी रहेगा और एक्स्ट्रा कमाई भी होगी। या फिर अगर आपकी कोई जमीन बेकार पड़ी है, तो वहां इसे लगा दीजिए और भूल जाइए। कम देखभाल में भी यह फसल आपको अच्छा रिटर्न देगी।तो अगर आपके पास भी कोई बंजर टुकड़ा है, तो उसे बेकार मत छोड़िए। अपने जिले के उद्यान अधिकारी से मिलिए और इस नई स्कीम का फायदा उठाइए। बदलते दौर में खेती का तरीका बदलना ही समझदारी है!