Christmas 2025: दुनियाभर में क्रिसमस की धूम, जानें कौन हैं सांता क्लॉज और कब हुई क्रिसमस मनाने की शुरुआत?
TV9 Bharatvarsh December 25, 2025 12:43 PM

Christmas 2025: दुनियाभर में बाजारों से लेकर घरों तक क्रिसमस की धूम दिखाई दे रही है. हर साल 25 दिसंबर को धूमधाम से क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है. ये पर्व ईसाइयों का प्रमुख पर्व है, जोकि ईसा मसीह के जन्मदिन पर मनाया जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं.प्रभु यीशु के जन्मदिन पर सांता क्लॉज भी लोगों के बीच खुशियां और बच्चों को गिफ्ट्स बांटता है.

हर साल बच्चे सांता क्लॉज और गिफ्ट्स का इंतजार करते हैं, लेकिन लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता है कि सांता क्लॉज कौन हैं और क्रिसमस मनाने की शुरुआत कब से हुई?

कब से हुई क्रिसमस मनाने की शुरुआत?

बताया जाता है कि 336 ई.पूर्व में क्रिसमस के पर्व को मनाने की शुरुआत हुई थी. 336 ई.पूर्व में रोम के पहले ईसाई सम्राट के शासन के समय 25 दिसंबर के दिन सबसे पहले क्रिसमस मनाया गया था. इसके कुछ साल बाद पोप जुलियस ने आधिकारिक तौर पर 25 दिसंबर का दिन प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाने की घोषणा की थी.

क्रिसमस ट्री की कहानी

क्रिसमस ट्री हजारों साल पहले उत्तरी यूरोप में चलन में आया था. उस दौरान लोग Fir नाम के पौधे को सजाते थे. चेरी के पेड़ की टहनियां भी क्रिसमस पर सजाई जाती थीं. जो लोग क्रिसमस का ट्री नहीं खरीद पाते थे, वो लकड़ी को पिरामिड बनाकर क्रिसमस मनाते थे. तब से ही क्रिसमस ट्री की शुरुआत हुई है.

कौन हैं सांता क्लॉज?

सांता क्लॉज का असली नाम संत निकोलस था. उनका जन्म तुर्किस्तान के मायरा के रोवानिएमी गांव में हुआ था. संत निकोलस प्रभु यीशु की मृत्यु के 280 साल बाद एक अमीर घराने में जन्मे थे और हमेशा गरीबों की सहायता किया करते थे. प्रभु यीशु में संत निकोलस बड़ी गहरी आस्था रखते थे, जिसकी वजह से वो बाद में पादरी बन गए. इसके बाद बिशप बने और उनको संत की उपाधि दी गई.

दिल छू लेगी संत निकोलस की कहानी

संत निकोलस को बच्चों से बहुत प्यार था. वह रात के अंधेरे में बच्चों को तोहफा देते थे ताकि, उन्हें कोई पहचान न सके. यही कारण है कि आज भी सांता क्लॉज बच्चों का फेवरेट है. संत निकोलस की एक दिल को छू लेने वाली कहानी है. एक गरीब पिता की तीन बेटियां थीं, लेकिन गरीबी तीनों बेटियों की शादी में अड़चन बन रही थी. इस बात की जानकारी संत निकोलस को हुई.

फिर उन्होंने उस गरीब की सहायता के बारे में सोचा. इसके बाद एक दिन संत निकोलस उस गरीब व्यक्ति के घर पहुंचे और आंगन में सुख रहीं जुराबों में सोने के सिक्के भर दिए और वापस लौट आए. संत निकोलस की मदद से तीन बेटियों की जिंदगी बन गई. यही वजह है कि आज भी क्रिसमस पर घर के बाहर मोजे टांगे जाते हैं कि सांता क्लॉज आएंगे और उसमें गिफ्ट डालेंगे.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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