हिमाचल प्रदेश के डॉक्टरों ने शुक्रवार को सामूहिक आकस्मिक अवकाश (Collective casual leave) की घोषणा कर दी है. उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि अगर राज्य सरकार बर्खास्त किए गए वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर को बहाल नहीं करती है तो वह शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. दरअसल, ये मामला 31 साल के डॉक्टर राघव नरूला की बर्खास्तगी से जुड़ा है.
शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में एक मरीज के साथ कहासुनी में शामिल होने के बाद उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं. आईजीएमसी हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है और एक प्रमुख रेफरल सेंटर है. राज्य सरकार ने डॉक्टर राघव नरूला को बर्खास्त कर दिया है. जांच में उन्हें कदाचार और दुर्व्यवहार का दोषी पाया गया.
मरीज के साथ मारपीट का वीडियो वायरलयह एक्शन 22 दिसंबर को एक वीडियो वायरल होने के बाद किया गया. वीडियो में डॉक्टर राघव नरूला को चोपाल के रहने वाले 36 साल के अर्जुन पवार नाम के एक एक मरीज के साथ हाथापाई करते हुए देखा गया था. शिमला पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई. हालांकि, आईजीएमसी जांच पैनल में कहा गया था कि डॉक्टर और मरीज दोनों ही झगड़े के लिए जिम्मेदार थे.
अब डॉक्टरों ने इसी मामले को लेकर 27 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की योजना की घोषणा की है. डॉक्टर नरूला की बर्खास्तगी के बाद, हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (एचएमओए) ने शुक्रवार को एक दिन की सामूहिक आकस्मिक छुट्टी की घोषणा की. आईजीएमसी के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने भी कहा कि अगर बर्खास्तगी का आदेश वापस नहीं लिया गया तो वह शनिवार से हड़ताल शुरू करेंगे.
27 दिसंबर से हड़ताल की चेतावनीआरडीए अध्यक्ष डॉक्टर सोहिल शर्मा ने कहा कि एसोसिएशन इस मामले पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात करने की योजना बना रही है. उन्होंने बताया कि रेजिडेंट डॉक्टर 26 दिसंबर को एक दिन की आकस्मिक छुट्टी पर रहेंगे और अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वह 27 दिसंबर को सुबह 9:30 बजे से हड़ताल पर चले जाएंगे. डॉक्टर शर्मा ने बताया कि इमरजेंसी सर्विस पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन रेगुलर सर्विस और बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) और ऐच्छिक ऑपरेशन थिएटर विरोध प्रदर्शन के दौरान बंद रहेंगे.
एसोसिएशन ने आईजीएमसी में सुरक्षा संबंधी गंभीर खामियों को उजागर किया और सीसीटीवी कवरेज में खामियों की गहन समीक्षा की मांग की. आरडीए के बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि सीआईटी कवरेज में पहले से रिपोर्ट की गई कमियों और आईजीएमसी शिमला में सुरक्षा उपायों को लागू करने में विफलता के संबंध में एक व्यापक समीक्षा और जवाबदेही मूल्यांकन की मांग की जाती है, जबकि इन कमियों का पहले एनालिसिस किया जा चुका है.”